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क्रायोजेनिक इंजन क्या है। (cryogenic engine in hindi)

नमस्कार दोस्तों आपका pramodcomputerblog एक बार फिर से स्वागत है आज की पोस्ट बहुत ही खास होने वाली है इस पोस्ट में आपको क्रायोजेनिक इंजन के बारे में विस्तार से जानकरी देने जा रहे है क्रायोजेनिक इंजन बहुत ही कठन प्रणाली है जिसमे से ठोस और भूगर्भ में एकत्र  होने वाली liquid  प्रोपलैण्ट का प्रयोग किया जाता है। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 20 जुलाई, 2015 को जारी रिपोर्ट को अनुसार, विशुद्ध स्वदेशी तकनीक से विकसित शक्तिशाली क्रायोजेनिक इंजन का 16 जुलाई, 2015 को तमिलनाडु स्थित महेन्द्रगिरि प्रोपल्शन सेण्टर से किए गए परीक्षण को पूर्णतः सफल बताया गया है। तो चलिए दोस्तों शुरू करते है cryogenic engine in hindi –

क्रायोजेनिक इंजन क्या है ? (cryogenic engine in hindi)

cryogenic engine in hindi – क्रायोजेनिक इंजन प्रक्षेपण वान का होता है, जिसमें क्रायोजेनिक तरल (-253°C पर तरल हाइड्रोजन तथा 193°C पर तरल ऑक्सीजन) को ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। यह ईघन रॉकेट को पृथ्वी की कक्षा से बाहर, जहाँ ऑक्सीजन की कमी होती है, आवश्यक गति प्रदान करने में सहायता करता है।

क्रायोनेजिक इंजन तकनीकी तौर पर एक जटिल प्रणाली है, जिसमें ठोस अथवा भूगर्भ में संग्रहित होने वाले लिक्विड प्रोपलैण्ट का उपयोग किया जाता है। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने क्रायोजेनिक अपर स्टेज प्रोजेक्ट (सीयूएसपी) का विकास किया है, जिसके माध्यम से जीएसएलवी प्रक्षेपण यानों में रूस की निर्भरता को समाप्त किया जा सकता है।

 

800 सेकण्ड अवधि तक सफलतापूर्वक भू-परीक्षण

  1. भारत के प्रथम स्वदेशी रूप से विकसित तथा डिजाइन किए गए उच्च प्रणोद क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन, जिससे 19 टन का अभिहित प्रणोद का जनन होता है। 800 सेकण्ड की अवधि तक परीक्षण का कारण उड़ान में ईंधन ज्वलन अवधि के 25% को प्रतिदर्शित करना है। इस इंजन का प्रयोग इसरो की अगली पीढ़ी के प्रमोचन रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 को प्रणोदित करने के लिए किया जाना है।
  2. जमीनी परीक्षण के अन्तर्गत गर्म अवस्था में इंजन की सहनशक्ति को 800 सेकण्ड (13.33 मिनट) तक परखा गया, जो मापदण्ड के अनुकूल रहा।
  3. इस इंजन का निर्माण इसरो के केरल स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेण्टर (एलपीएससी) ने किया है। 19 टन के उच्चशक्ति के इस इंजन का पहला सफल परीक्षण (मापदण्ड से 25% ज्यादा सफल) सी-25 क्रायोजेनिक स्तर के लिए सहायक सिद्ध होगा।
  4. इससे पूर्व इसरो द्वारा बनाए गए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन की क्षमता 12.5 टन की थी, जिसका भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) मार्क-2 के साथ 5 जनवरी, 2014 को सफल प्रक्षेपण किया जा चुका है।

 

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सी-25 श्रेणी का क्रायोजेनिक इंजन

  • सी-25 श्रेणी का क्रायोजेनिक इंजन गैस जेनरेटर साइ‌किल पर आधारित होगा, जिसमें अत्यन्त कम तापमान वाले प्रणोदक का प्रयोग किया जाएगा। इसमें बहुत कम तापमान वाले नोदकों पर द्रव ऑक्सीजन का प्रयोग किया गया है। ऐसे इंजन की विभिन्न उप-प्रणालियाँ है पुनर्जनन शीत प्रणोद चैम्बर, गैस जेनरेटर 20 तथा एलएचटू (LH₂) इत्यादि।
  • इस उच्च निष्पादन क्रायोजेनिक इंजन की संकल्पना संरूपण तथा इसे पूरा करने का कार्य भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अग्रणी केन्द्र, द्रव नौदन प्रणाली केन्द्र (एलपीएससी) ने किया था, जो इसरो के लिए द्रव नोदन प्रणालियों के विकास हेतु उत्तरदायी है।
  • इंजन का विकास पूरी तरह से संगठन के आन्तरिक प्रयास से हुआ है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों जैसे-तरल गतिकी, दहन, तापीय संरचनात्मक, घातु-विज्ञान इत्यादि ने एक साथ मिलकर कार्य किया है।
  • सी-25 चरण विकास के भाग के रूप में उड़ान चरण के पूरा होने से पहले उच्च तुंगता स्थितियों तथा चरण संरूपण में और भी अधिक परीक्षणों को करने की योजना बनाई गई है। इस जटिलता को दूर करते ही अन्तरिक्ष कार्यक्रमों में आत्मनिर्भर बनने में सक्षम क्रायोजेनिक प्रणाली अत्यधिक काम आएगी ।

 

FAQ’S

1. इस इंजन की न्यूनतम धारण क्षमता क्या है ?

इस इंजन की न्यूनतम धारण क्षमता 19 टन है।

2. इस इंजन का प्रयोग कहा किया जाएगा ?

इस इंजन का भारी उपग्रह को अन्तरिक्ष में भेजने वाले रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 में प्रयोग किया जाएगा।

3. यह इंजन किस तकनीक से बना है ?

यह इंजन विशुद्ध स्वदेशी तकनीक से बना है।

4. यह इंजन कितने टन के उपग्रह को ले जाने में सक्षम है ?

यह 4 टन के उपग्रह को ले जाने में सक्षम है।

 

Conclusion (निष्कर्ष)-

तो दोस्तों आज आपने इस पोस्ट में क्रायोनेजिक इंजन के बारे में अच्छे से जाना होगा और अच्छे से समझ भी आया होगा क्रायोनेजिक इंजन लगभग 4 टन के भरी उपग्रह को ले जाने की ताकत रखता है यह 4000 किग्रा के बड़े उपग्रहों के प्रक्षेपण से भारत का अन्तरिक्ष कार्यक्रम न केवल विश्व के बड़े कार्यक्रमों में शामिल हो सकेगा, बल्कि इससे राजस्व भी अर्जित हो सकेगा। इसी तरह की पोस्ट पढ़ने के लिए मेरे ब्लॉग से जुड़े रहे तथा इस पोस्ट से रिलेटेड कोई सवाल है तो आज मुझे comment करे तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

 

 

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