फीजिबिलिटी अध्ययन क्या है? यह कितने प्रकार की होती है?

Feasibility study in Hndi – नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट मे मैं आपको फीजिबिलिटी अध्ययन क्या है? यह कितने प्रकार की होती है। (What is feasibility study and 7 types) के बारे में पूरी जानकारी और सही सही जानकारी देगे जिससे आपको फीजिबिलिटी को अच्छे से समझ पायेंगे और इसके प्रकारों को पूरे विस्तार से बताया जाएगा। प्रारंभिक जांच पड़ताल जैसी गतिविधियों से गुजरने के बाद एनालिसिस योजना की भागीदारी के साथ उद्देश्यों प्रतिबंधों तथा आवश्यक आउटपुट की जांच कर ऐसा प्रोजेक्ट डायरेक्टर नियमित करता है जिसे यूजर अपनी आज्ञा प्रदान करें अगला कदम कैंडिडेट सिस्टम की अपेक्षित कार्य क्षमता को परिभाषित करते हुए यह निर्धारित करने का है कि इसी वास्तव में करना क्या है इस प्रकार प्रदर्शित है संबंध आवश्यकताओं पर खड़ी उतरने वाली सर्वश्रेष्ठ सिस्टम का चुनाव करने के लिए फीजिबिलिटी स्टडी की जाती है। तो चलिए दोस्तो शुरू करते हैं-

 

फीजिबिलिटी अध्ययन क्या है? (What is feasibility study)

Feasibility study in Hndi – विभिन्न फीजिबिलिटी अध्ययन यूजर और एनालिस्ट के दोनों के लिए ठीक-ठाक परिस्थितियों उपलब्ध कराते हैं पहली परिस्थिति के अंतर्गत अध्ययन में पहले ही यह मान लिया जाता है कि जब विजिबिलिटी दस्तावेज बनाया जा रहा है तो एनालिस्ट स्थिति में है कि वह समस्या समाधानों की गणना कर सके दूसरी यह है कि अधिकांश अध्ययनों में सिस्टम डेवलपमेंट में अंतनिर्हित  भ्रम की स्थिति को नजर अंदाज कर दिया जाता है।

  • जब सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के मुख्य क्षेत्र का निर्णय और पहचान हो जाए तब सबसे महत्वपूर्ण कार्य फीजिबिलिटी एनालिसिस है सारे पूर्ववर्ती कदमों से यूजर की आवश्यकता समस्या के संरक्षण एवं पूर्ववर्ती तथा प्रस्तावित नई सिस्टम में अंतर स्थापित किया जाता है।
  • फीजिबिलिटी अध्ययन एक सर्विसेज सिस्टम को चुनने के लिए किया जाता है जो प्रदर्शन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके फिजिबिलिटी यह तय करता है कि कोई प्रोजेक्ट किए जाने लायक है या नहीं।
  • इस निर्णय तक पहुंचाने के लिए उपयोग में ले गए विभिन्न प्रोसेस को फीजिबिलिटी विश्लेषण या फीजिबिलिटी अध्ययन कहते हैं।
  •  यह अध्ययन इस बात का पता लगता है कि क्या इस प्रोजेक्ट को लिया जा सकता है एक बार यह तय हो जाने की प्रोजेक्ट संभव है तो एनालिस्ट आगे बढ़ सकता है।
  • तथा प्रोजेक्ट स्पेसिफिकेशन तैयार कर सकता है जो प्रोजेक्ट आवश्यकताओं को अंतिम रूप देते हैं साधारणता फीजिबिलिटी अध्ययन निश्चित समय सीमा के अंतर्गत किए जाते हैं।
  • एवं इन्हें आमतौर पर लिखित मौखिक फीजिबिलिटी रिपोर्ट में यह दर्शाया आया जाता है ऐसे अध्ययन की सामग्री और अनुशंसाएं प्रोजेक्ट को आगे बढ़ने या निरस्त किए जाने का निर्णय लेने में आधार प्रदान करती है।
  • इस तरह फीजिबिलिटी अध्ययन बड़े संसाधनों को दाव पर लगा सकता है इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि इसे पूरी तरह से संपन्न किया जाए एवं आकलन संबंधी कोई मूलभूत गलती नहीं छोड़े जाए।

 

फीजिबिलिटी अध्ययन के प्रकार

फीजिबिलिटी अध्ययन के निम्नलिखित प्रकार होते हैं-

  1. तकनीकी फीजिबिलिटी (Technical Feasibility)
  2. संचालन विषयक फीजिबिलिटी (Operational Feasibility)
  3. आर्थिक फीजिबिलिटी (Economical Feasibility)
  4. सामाजिक फीजिबिलिटी (Sosial Feasibility)
  5. प्रबंधन विधायक फीजिबिलिटी (Management Feasibility)
  6. विधि विषयक फीजिबिलिटी (Legal Feasibility)
  7. समय विषयक फीजिबिलिटी (Time Feasibility)
 

फीजिबिलिटी अध्ययन के प्रकार की जानकारी विस्तार से समझते है-

1. तकनीकी फीजिबिलिटी (Technical Feasibility)

इसका संबंध निरूपण संबंधी आवश्यकताओं एवं उस सॉफ्टवेयर से होता है जो सफलतापूर्वक यूजर की आवश्यकता पूरी कर दे सिस्टम की तकनीक आवश्यकताओं में काफी अंतर हो सकता है।

लेकिन इसमें निम्न बातें शामिल हो सकती हैं-

  1. निर्धारित समय में आउटपुट देने की फीजिबिलिटी होती है। 
  2. कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में प्रतिक्रिया देने का समय।
  3. किसी ट्रांजैक्शन की विशिष्ट वैल्यू को विशिष्ट गति से प्रोसेस करने के सक्षमता।
  4. विभिन्न एड्रेस पर डाटा संचालित करने की फीजिबिलिटी होती है।
  • तकनीकी विजिबिलिटी का मूल्यांकन करते समय हार्डवेयर के स्थान पर सिस्टम के कंफीग्रेशन पर अधिक महत्व दिया जाता है कंफीग्रेशन द्वारा सिस्टम की आवश्यकता का पूरा चित्र प्रस्तुत करना चाहिए।
  • जैसे कितने विभिन्न वर्क स्टेशंस की आवश्यकता होगी ये इकाईयों किस प्रकार एक दूसरे से जुड़ी होंगे, जिससे वे कार्य कर सके और सुगमता से संप्रेषण कर सके।
  • प्रिंटिंग में विशिष्ट गुणवत्ता के लिए इनपुट और आउटपुट की कौन-कौन सी गति रखनी होगी इतना उपयोग निविदा दस्तावेज के लिए आधार के रूप में हो सकता है, इसके संदर्भ में बाद में विक्रेता और निर्माता किसी आधार पर उनके उपकरणों के प्रस्तावों की पेशकश करेंगे।
  • इसके बाद लॉजिकल आवश्यकताओं की दृष्टिकोण से विशिष्ट हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर उत्पादों का परीक्षण किया जा सकता है।
  • फीजजिबिलिटी के चरण में यह आवश्यक है कि दो से अधिक विभिन्न कंफीग्रेशन पर विचार किया जाना चाहिए जो अपेक्षित तकनीकी आवश्यकता तो पूरी करती हो लेकिन साथ ही उद्देश्यों व लागतो की विभिन्न स्तर प्रदर्शित करते हो।
  • इन तकनीकी विकल्पों के मूल्यांकन को सप्लायर के एम्प्रोचीग के लिए प्रारंभिक स्तर की बातचीत द्वारा अपग्रेड किया जा सकता है विभिन्न प्रकार की समस्याओं पर फीजजिबिलिटी में थी तकनीकी फीजिबिलिटी का पता लगाना सामान्यतः सबसे कठिन होता है।

 

2. संचालन विषयक फीजिबिलिटी (Operational Feasibility)

इसका संबंध मुख्यतः मानव, संगठन्त्त्मक व राजनीतिक मुद्दों से होता है  इसके अंतर्गत ध्यान में रखने वाले प्रमुख बिंदु इस प्रकार होते हैं।

  • सिस्टम में कौन से परिवर्तन ले जाएंगे?
  • किन संगठन आत्मक संरचनाओं में व्यवधान होगा?
  • कौन से नए कौशल की आवश्यकता होगी?
  • क्या स्टाफ के वर्तमान सदस्यों में एक कौशल उपस्थित है? यदि नहीं है, तो क्या उन्हें उपेक्षित समय प्रशिक्षित किया जा सकता है?

सामान्यतः संचालन विषयक फीजिबिलिटी की अनुशंसाओं के आधार पर प्रोजेक्ट अनुरोध निरस्त नहीं किया जा सकते हैं| लेकिन ऐसी अनुसंधान द्वारा अंतिम पारस की प्रकृति तथा जाकर पर निर्णायक प्रभाव डालने की संभावना रहती है यह फीजिबिलिटी अध्ययन लोगों के छोटे समूह द्वारा संपन्न किया जाता है।

ये व्यक्ति व्यवसाय के उन भागों से परिचित होते हैं जो प्रोजेक्ट के लिए उपयोगी हैं तथा यह सिस्टम एनालिसिस तथा डिजाइन प्रोसेस में सिद्धहस्त होते हैं।

 3. आर्थिक फीजिबिलिटी (Economical Feasibility)

  • किसी प्रस्तावित सिस्टम की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए यह सर्वाधिक उपयोग में ले जाने वाला ऑपरेशन है इसका लोकप्रिय नाम लागत लाभ विश्लेषण है।
  • इस प्रक्रिया में प्रस्तावित सिस्टम में अपेक्षित लाभ वशिष्ठों का पता लगाने का प्रयास किया जाता है एवं उनकी तुलना लगता से की जाती हैं।
  • यदि लाभ प्राप्त निवेदिता लागत से अधिक है तो सिस्टम को डिजाइन ऑफ कार्यान्वित करने का निर्णय ले लिया जाता है| अन्यथा, प्रस्तावित सिस्टम के संतोषप्रद अथवा वैक्लिपिक डिजाइन और कार्यान्वन संबंधी मुद्दों पर विचार किया जाएगा।
  • एवं यदि यह संभव हो तो ऐसी स्थिति में परिवर्तन की सहमति दी जा सकती है यह निरंतर चलने वाला प्रभाव है जो सिस्टम लाइव साइकिल के प्रत्येक चरण में सिस्टम की त्रुतिहीनता में सुधार करता जाता है।

 4. सामाजिक फीजिबिलिटी (Sosial Feasibility)

  • सामाजिक विजिबिलिटी यह पता लगाने की प्रक्रिया है कि प्रस्तावित प्रोजेक्ट उसे सामान्य व्यक्ति को स्वीकार होगा अथवा नहीं जो सिस्टम के साथ अंतिम उपयोगकर्ता और यूजर के रूप में सहभागी है या उसे उत्पाद की सेवा लेने वाले को यह मंजूर होगा या नहीं।
  • इस निर्धारण में प्रोजेक्ट सिस्टम में परिवर्तन से प्रत्यक्ष प्रभावित होने वाले समूह द्वारा प्रोजेक्ट को स्वीकार्य किया जाने की संभावना का निरीक्षण होता है।
  • इस तरह के फीजिबिलिटी अध्ययन में जिन समाधान बिंदुओं पर विचार होता है अभी तकनीकी नहीं होते हैं, लेकिन इन्हें विविध प्रकार की कारकों के रूप में विचारण किया जा सकता है।

 5. प्रबंधन विधायक फीजिबिलिटी (Management Feasibility)

  • यह इस बात को पता लगाने की प्रक्रिया है कि क्या प्रस्तावित प्रोजेक्ट प्रबंधन को स्वीकार होगा यदि प्रबंधन प्रोजेक्ट को स्पीकर नहीं करता है तो एनालिस्ट प्रोजेक्ट का नान फिजिकल प्रोजेक्ट के रूप में उसका विश्लेषण करेगी।
  • अधिकांश मामलों में प्रबंधन की विजिबिलिटी की चिंतन का संबंध संगठन के प्रबंधन की नीतियों व उसकी अवरुचि से होता है कुछ संगठनों में प्रबंधन को केंद्रीय खेत नियंत्रण एवं संगठन की गतिविधियों का कार्यों पर कठोर नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
  • ऐसी स्थिति में यदि प्रस्तावित सिस्टम कार्य संस्कृति को विकेंद्रीकृत करने का प्रयास करता है तो यह प्रोजेक्ट प्रबंधन को स्वीकार नहीं होगा परंतु दूसरी ओर यदि प्रबंधन कार्य व दायित्वों के वितरण में विश्वास करता है तो प्रस्तावित सिस्टम को स्वीकार कर लिया जाएगा।

 6. विधि विषयक फीजिबिलिटी (Legal Feasibility)

  • इस प्रक्रिया द्वारा यह पता लगाया जाता है कि प्रस्तावित प्रोजेक्ट सभी ज्ञात अधिनियम परिस्थितियों के साथ लंबवत विधि निर्माण का पालन करता है या नहीं हालांकि।
  • कुछ मामला में प्रोजेक्ट ठोस प्रतीत हो सकता है, लेकिन निकट से जांच करने पर हो सकता है कि यह कुछ छोटे कानून क्षेत्र का उल्लंघन करता हो।
  • इस विशेष प्रकार की फीजिबिलिटी को विधि विशेषगो के मार्गदर्शन में संचालित किया जाता है ये विधि क्षेत्र के विभिन्न भागों में विशेषज्ञ होते हैं।

 7. समय विषयक फीजिबिलिटी (Time Feasibility)

  • समय संबंधित फीजिबिलिटी यह पता लगाने की प्रक्रिया है कि क्या प्रस्तावित प्रोजेक्ट दी गई समय सीमा में पूरी तरह कार्यान्वित किया जा सकता है अथवा नहीं।
  • यदि प्रोजेक्ट में आवश्यकता से अधिक समय लग रहा हो तो उसके निरस्त होने की संभावना रहेगी कभी-कभी यह सबसे महत्वपूर्ण फीजजिबिलिटी होती है, क्योंकि कुछ परिस्थितियों में प्रोजेक्ट प्रस्ताव की त्वरित डिलीवरी एवं प्रोजेक्ट ऑर्डर फॉर्म की सबसे महत्वपूर्ण शर्त होती हैं।

 

 FAQ’s  

1. लागत लाभ विश्लेषण क्या है ?

किसी प्रस्तावित सिस्टम की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए यह सर्वाधिक उपयोग में ले जाने वाला ऑपरेशन है इसका लोकप्रिय नाम लागत लाभ विश्लेषण है।

 2. फीजबिलिटी के चरण में क्या आवश्यक है ?

दो से अधिक विभिन्न कंफीग्रेशन पर विचार किया जाना चाहिए जो अपेक्षित तकनीकी आवश्यकता तो पूरी करती हो लेकिन साथ ही उद्देश्यों व लागतो की विभिन्न स्तर प्रदर्शित करते है।

 

Conclusion (निष्कर्ष) 

तो दोस्तों, इस पोस्ट में मैंने आपको फीजिबिलिटी अध्ययन क्या है? यह कितने प्रकार की होती है। के बारे में पूरी जानकारी दी है आशा है आपको मेरी ये पोस्ट अच्छी लगी होगी अगर आप इस पोस्ट से Related आप कुछ जानना चाहते है तो आप comment करे और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

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