डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) क्या है? (dos operating system in hindi)

dos operating system in hindi – नमस्कार दोस्तों आपका इस ब्लॉग pramodcomputerblog पर हार्दिक स्वागत है आज की पोस्ट बहुत ही खास होने वाला है आज की इस post में आपको डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे आपको हर तरह से जानकारी दी जाएगी इस पोस्ट में आपको डॉस क्या है, बूटिंग प्रोसेससिंग क्या है, ms डॉस के कार्य क्या-क्या है,तथा इसके file एक्सटेंशन के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी। तथा file एक्सटेंशन के बारे में भी आपको विस्तार से जानकारी मिलेगी  तो चलिए दोस्तों शुरू करते है –

डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) क्या है?

dos operating system in hindi – डॉस (DOS-Disk Operating System) सिस्टम सॉफ्टवेयर के अन्तर्गत आते हैं। वर्तमान में दो डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम प्रचलित हैं- (1) माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (2) पर्सनल कम्प्यूटर डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम। माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम PC-DOS के नाम से प्रचलित हैं। दोनों प्रकार के डॉस एक समान ही कार्य करते हैं। कम्प्यूटर को ऑन करते हैं तो, कम्प्यूटर सर्वप्रथम अपने समस्त हार्डवेयर की जाँच करता है, इस प्रक्रिया को कम्प्यूटर की भाषा में POST (Power On Self Test) कहते हैं। इस जाँच के पश्चात् कम्प्यूटर Boot होकर C:\> पर आता है। यहाँ से ही हम कम्प्यूटर को ऑपरेट कर सकते हैं। कम्प्यूटर को C:\> पर लाने का कार्य डॉस के द्वारा ही सम्पन्न होता है। यदि डॉस में कोई खराबी है तो, कम्प्यूटर Boot नहीं हो सकता है। इससे डॉस के महत्व का पता चलता है।

बूटिंग प्रोसिस (Booting Process) क्या है?

बूटिंग प्रोसिस (Booting Process) – कम्प्यूटर प्रारम्भ करने की प्रक्रिया को बूटिंग प्रोसिस (Booting Process) कहते हैं, क्योंकि कम्प्यूटर पर ऑपरेटिंग सिस्टम लोड करने के बाद ही कोई कार्य किया जा सकता है। अतः कम्प्यूटर को सर्वप्रथम बूट करना आवश्यक है।

बूटिंग प्रोसिस 02 प्रकार की होती है-

  1. कोल्ड बूट (Cold Boot)
  2. वार्म बूट (Warm Boot)

 

  • कोल्ड बूट (Cold Boot) –

कोल्ड बूट प्रक्रिया करने के लिए हमें Ctrl+Alt+Delete Key को एक साथ दबाना पड़ता है, जिससे कम्प्यूटर बन्द होकर पुनः प्रारम्भ हो जाता है। इस प्रक्रिया को कोल्ड बूटिंग या सॉफ्ट बूटिंग कहते है ।

  • वार्म बूट (Warm Boot) –

जब कोल्ड बूट से आपकी समस्या हल नही होती है तब वार्म बूट प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। इसके लिए कम्प्यूटर के पॉवर स्विच को बन्द करके कम्प्यूटर को पुनः प्रारम्भ किया जाता है। इसे वार्म बूटिंग या हार्ड बूटिंग कहते है।

एम.एस. डॉस के कार्य –

एम.एस. डॉस के कार्य (Function of DOS) किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम का पहला और आवश्यक कार्य सॉफ्टवेयर के अनुसार कम्प्यूटर हार्डवेयर को नियन्त्रित या ऑपरेट करना होता है। उक्त कार्य डॉस भली-भाँति करता है। डॉस में अनेक प्रोग्रामों का समूह बनाकर रखा जाता है, जिससे निम्न प्रकार के काम किए जाते हैं-

  1. कन्फिग्युरेशन सैटिंग (Configuration Setting) : डॉस द्वारा कम्प्यूटर में लगे भागों की कन्फिग्युरेशन सैटिंग की जाती है। इसके बाद ही कम्प्यूटर का माइक्रोप्रोसेसर कम्प्यूटर के साथ जुड़े भागों के साथ सम्बन्ध बना पाता है।
  2. डायरेक्टरी मैनेजमेन्ट (Directory Management): डॉस द्वारा डिस्क पर डायरेक्टरी बनाना, लिस्ट देखना, डिलीट करना आदि अनेकों काम किये जाते हैं।
  3. फाइल मैनेजमेन्ट (File Management): डॉस में फाइलों का व्यवस्थापन किया जाता है, इसमें फाइल बनाना,पढ़ना, कॉपी करना, प्रिन्ट निकालना एवं डिलीट करना इत्यादि कार्य किये जाते हैं।
  4. डिस्क मैनेजमेन्ट (Disk Management): डॉस में डिस्क का भरा हुआ एवं खाली स्थान देखना, डिस्क को फॉरमेट करना इत्यादि कार्य किये जाते हैं।

 

डॉस की मुख्य फायलें (Main Files of DOS) –

एम. एस. डॉस (MS-DOS) ऑपरेटिंग सिस्टम की मुख्य फायलें कुछ विशेष कार्यों के लिए निर्मित होती हैं, जैसे बूटिंग की क्रिया, इनपुट/आउटपुट के लिए डिवाइसेज निर्धारित कर उन्हें समायोजित करना, ऑपरेटिंग सिस्टम के Internal Commands को मैमोरी में सँग्रह करना आदि ।

इन फायलों के Extension भी होते हैं। जैसे- .sys, .com, .exe, bat आदि ।

  • IO.SYS

जब कम्प्यूटर को ऑन किया जाता है तो, सबसे पहले वह अपने साथ जुड़ी सभी डिवाइसेज और डिस्क को रीसेट (Reset) करता है। यह काम IO.SYS प्रोग्राम द्वारा किया जाता है। IO.SYS में कुछ छोटे-छोटे प्रोग्राम भी होते हैं, जिन्हें डिवाइस ड्राइवर (Device Driver) कहते हैं। यह डिवाइस ड्राइवर (Device Driver) प्रोग्राम अलग-अलग तरह के पेरीफेरल्स (Peripherals) को ऑपरेट करने का काम करते हैं।

  • MS-DOS.SYS –

इस प्रोग्राम के द्वारा कम्प्यूटर में प्रयोग होने वाले एप्लीकेशन प्रोग्राम्स को IO.SYS के साथ सम्ब) किया जाता है। प्रिंटिंग करना, डाटा स्टोर करना, सूचना रिट्रीव करना और डिस्प्ले करना आदि अनेकों महत्वपूर्ण कार्य डॉस इस प्रोग्राम के द्वारा ही करता है।

  • COMMAND.COM – 

इसे कमाण्ड प्रोसेसर नाम से भी पुकारा जाता है। इस प्रोग्राम के द्वारा की-बोर्ड द्वारा टाइप किए गए और कमाण्ड फायलों में स्टोर किये गए कमाण्ड्स को पढ़कर काम किया जाता है। इस प्रोग्राम के द्वारा ही डॉस में कमाण्ड प्रॉम्प्ट उपलब्ध कराने का काम भी होता है।

  • CONFIG.SYS –

कम्प्यूटर में उपस्थित हार्डवेयर की स्थिति और प्रकार निर्धारित करने की बारी आती है। इसके लिये CONFIG.SYS फायल का उपयोग किया जाता है। CONFIG.SYS फायल एक टैक्स्ट फायल होती है, जिसमें प्रोग्राम होते हैं, जो कम्प्यूटर के हार्डवेयर भागों जैसे- मेमोरी, की-बोर्ड, माउस, प्रिंटर आदि को निर्धारित करते हैं, जिससे डॉस एप्लीकेशन प्रोग्राम इनका उपयोग कर सकें।

  • AUTOEXEC.BAT 

कम्प्यूटर बूटिंग के बाद ऑपरेटिंग सिस्टम डिस्क पर AUTOEXEC.BAT फायल को खोजता है और इसे क्रियान्वित कर देता है। यह क्रिया कम्प्यूटर ऑन करने पर प्रत्येक बार होती है। AUTOEXEC.BAT फायल एक बैच फायल है, जिसमें डॉस निर्देश होते हैं। इसमें प्रोग्राम फायल के समान लिखे निर्देशों को स्वतः क्रियान्वित करती है।

फायल एक्सटेंशन (File Extension) –

फायल एक्सटेंशन यह संकेत देता है कि अमुक फायल किस सॉफ्टवेयर में बनी है और किस प्रकार की है। एक्सटेंकन फायलों के कुछ उदाहरण निम्न है-

  •  EXE (Executable File)
  •  BAK (Backup File)
  •  COM (Command File)
  •  DOC (Document File)
  •  BAT (Batch File)
  •  SYS (System FiLe

 

FAQ’S

1. कंप्यूटर on होने पर सबसे पहले क्या होता है ?

कंप्यूटर on होने पर सबसे Booting Process होती है तभी कंप्यूटर चालू होता है।

2. वर्तमान में 2 ऑपरेटिंग डिस्क कौन से चल रहे है ?

  1. माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम
  2. पर्सनल कम्प्यूटर डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम

 

Conclusion (निष्कर्ष) 

तो दोस्तों मुझे आशा है कि आपको मेरी यह पोस्ट अच्छी लगी होगी तथा बहुत ही हेल्पफुल रही होगी तथा आपको इस पोस्ट डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है इसके file, एक्सटेंशन, कार्य आदि से बहुत कुछ सीखने को मिला हो तो आप मुझे comment बॉक्स में comment करके बताये तथा इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

Leave a Comment