डिज़ाइन टूल तथा प्रोग्रामिंग भाषा (Design tool and programming language) क्या है

Design tool and programming language in hindi – हेल्लो दोस्तों नमस्कार आज आपको इस पोस्ट में बहुत ही जरूरी जानकारी के बारे में बताउगा जो की डिज़ाइन टूल से सम्बंधित है इसके हम अपने प्रोग्राम का उपयोग करते है तथा programming भाषा का उपयोग करते है डिज़ाइन टूल में डाटा फ्लो, निर्णय, प्रक्रिया आदि प्रकार की जानकारी के बारे में चर्चा करेगे तथा साथ ही हम प्रोग्रामिंग भाषा के विभिन्न प्रकार के बारे में विस्तार से जानेगे तथा इसके साथ ही साथ हम असेम्बली भाषा (Assembly Language), उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language) की चर्चा करेगे

चलिए दोस्तों शुरू करते है-

 

Design tool and programming language in hindi –

I. टूल्स –

Design tool and programming language in hindi – (Design Tools) किसी प्रोग्राम को लिखने से पहले उसके द्वारा होने वाले इनपुट, आउटपु Tools के प्रवाह तथा लॉजीक का निर्धारण करना होता है। इसके लिए हमें डिजाइन tools आवश्यकता होती है। ये डिजाइन टुल्स निम्नलिखित है :

डी एफ डी (DFD-Data Flow Diagram)-

DFD किसी प्रोसेस या सिस्टम में डेटा के प्रवाह का चित्रात्मक प्रदर्शन है। इ सिस्टम में कंट्रोल का प्रवाह न दिखाकर डेटा का प्रवाह को चित्रित करते हैं। DFD बनाने के लिए कुछ चिह्नों और संकेतकों (Symbols and Notations) उपयोग होता है।

  • डेटा फ्लो (Data Flow)- इसे तीर के चिह्न वाली रेखा से प्रदर्शित करते हैं। यह सिस्टम में डेटा के प्रवाह की दिशा बताता है।
  • प्रक्रिया (Process)- यह आने वाली डेटा के प्रवाह (Incoming data flow) के निर्देश होते हैं।
  • निर्णय (Decision) – यह लॉजिकल प्रक्रिया को प्रदर्शित करता है जिसका परिणाम हाँ (yes) या ना (No) होता है। DFD में इसे से दर्शाया जाता है।
  • कनेक्टर (Connector) – विशाल प्रोग्राम के लिए एक page से अधिक के फ्लोचार्ट को कनेक्टर के द्वारा जोड़ा जाता है
  • इनपुट/आउटपुट (Input/output)- यह प्रोग्राम में इनपुट तथा आउटपुट को दर्शाता है । डेटा स्टोर (Data Store): यह के संग्रह को दर्शाता है।

 

2. एल्गोरिदम (Algorithm) –

  • कम्प्यूटर की सहायता से किसी भी कार्य को सम्पन्न करने के लिए प्रोग्राम या निर्देशों के समूह की आवश्यकता होती है। प्रोग्राम लिखने के लिए हमें एक-एक कर बताना होता है. यह कैसे संपन्न होगा या प्रोग्राम किस लॉजिक पर कार्य करेगा यहाँ पर हमें कम्प्यूटर एल्गोरिदम की जरूरत होती है।
  • एल्गोरिदम किसी कम्प्यूटर प्रोग्राम को पूरा करने के लिए बुनियादी तकनीक है। यह निर्देशों का समूह है जो कार्य सम्पन्न होने में सहायक है। एल्गोरिदम में कोई गलती (error) होने पर गलत रिजल्ट प्राप्त होता है, जिसे Logical error कहते हैं।
  • फ्लोचार्ट एल्गोरिदम या प्रोसेस का चित्रात्मक प्रदर्शन है। फ्लोचार्ट प्रोसेस या प्रोग्राम का विश्लेषण, डिजाइन करने, डाक्यूमेंट बनाने तथा प्रबंधन में उपयोग होता है। यह भी DFD के तरह चिह्नों तथा संकेतकों का प्रयोग कर बनाया जाता है।
  • इसे प्रोग्राम डिजाइन लैंग्वेज (PDL) भी कहा जाता है जो फ्लोचार्ट का एक विकल्प है। सुडोकोड में लॉजिक को अंग्रेजी की तरह लिखा जाता है। बहुत सारे प्रोग्रामर सुडोकोड को वरीयता देते हैं क्योंकि इसमें परिवर्तन करना आसान है।
  • प्रोग्रमिंग भाषा कम्प्यूटर को निर्देश देने तथा इच्छानुसार कार्य करवाने का एक माध्यम है। यह एक कृत्रिम भाषा है जिसे कम्प्यूटर को एक निश्चित क्रमानुसार चलाने या काम करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
  • यह रिजर्व वर्ड, की वर्ड (Keyword) सिंवाल्स का एक सेट और स्टेटमेंट कन्स्ट्रक्ट करने के लिए नियमों का एक सेट है, जिसके द्वारा मानव कम्प्यूटर द्वारा निष्पादित किये जाने वाले अनुदेशों को संप्रेषित कर सकता है।

मुख्यतः प्रोग्रामिंग भाषा दो प्रकार के होते हैं –

  1. निम्न स्तरीय भाषा (Low Level Language)
  2. उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language)

 

3. मशीन भाषा (Machine Language) –

यह कम्प्यूटर की आधारभूत भाषा है। यह केवल 0 और 1 दो अंकों के प्रयोग से निर्मित सृख्ला अर्थात bainary code से लिखी जती है एक मात्र कंप्यूटर प्रोग्रमिंग भाषा है जो कि कम्प्यूटर द्वारा सीधे-सीधे समझी जाती है। इसे किसी अनुवाद प्रोग्राम की आवश्यकता नहीं होती है। इसे कंप्यूटर का मशीन का संकेत भी कहते हैं। प्रोग्रामिंग के शुरूआत के समय प्रोग्राम इसके प्रयोग से लिखे जाते थे।

मशीन भाषा में प्रत्येक निर्देश के दो भाग होते है-

  1. ऑपरेशन कोड या ऑपकोड
  2. लोकेशन कोड या ऑपरेंड

 

4. असेम्बली भाषा (Assembly Language) –

मशीन भाषा में प्रोग्राम लिखने में आनेवाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक अन्य असेम्बली भाषा का निर्माण किया गया। इसमें बाइनरी कोड (0 या 1) का इस्तेमाल न कर अक्षर अथवा चिह्नों का प्रयोग किया जाता है जिसे सिम्बॉल (Symbol) भाषा कहते हैं। इसमें न्यूमोनिक कोड का प्रयोग किया गया जिन्हें याद रखना आसान है। जैसे LDA या ऑब्जेक्ट कोड में परिवर्तन का काम एक प्रोग्राम के द्वारा किया जाता है। जिसे असेम्बलर (Assembler) कहा गया।

 

उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language)

उच्च स्तरीय भाषा कम्प्यूटर में प्रयोग की जाने वाली वह भाषा है जिसमें अंग्रेजी अक्षरों, संख्याओं एवं चिह्नों का प्रयोग कर प्रोग्राम लिखा जाता है। यह मशीन पर निर्भर (Machine dependent) नहीं है। इन प्रोग्रामिंग भाषाओं को कार्यानुसार चार वर्गों में विभाजित किया गया है-

  • वैज्ञानिक प्रोग्रामिंग भाषाएँ (Scientific Programming Languages)- इनकी प्रयोग मुख्यतः वैज्ञानिक कार्यों के लिए होता है; जैसे-अल्गोल, बेसिक, फोरट्रॉन, पास्कत आदि
  • व्यावसायिक प्रोग्रामिंग भाषाएँ (Commercial Programming Languages) – व्यापार संबंधित कार्यों, जैसे- वही खाता, रोजनामचा, स्टॉक आदि का लेखा-जोख आदि के लिए इनका उपयोग किया जाता है। जैसे- PL1, कोबोल, डीबेस आदि।
  • विशेष उद्देशीय प्रोग्रामिंग भाषा (special Purpose प्रोग्रामिंग language) – ये भाषायें विभिन्न कार्यों को विशेष क्षमता के साथ करने के लिए प्रयोग की जाती है। जैसे- AP360, लोगो आदि ।
  • बहुउदेशीय भाषा (Multipurpose programming language) – समान रूप से विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने की क्षमता रखती है, उन्हें बहुउद्देशीय भाषाएँ कहते हैं। जैसे-बेसिक पास्कल, PL1 आदि।

 

कुछ उच्च स्तरीय भाषाएँ- 

इसका विकास सन् 1957 में 1BM704 कम्प्यूटर के लिए जॉन बेकस के नेतृत्व में हुआ था। यह गणितीय कार्यों, सूत्रों तथा गणनाओं को करने में पूर्णतः सक्षम है। इसका उपयोग वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों द्वारा किया जाता है। यह प्रोग्रामिंग के लिए विकसित की गई सर्वप्रथम भाषा है।

  • अल्गॉल (ALGOL)

अल्गॉल का विकास सन् 1958 में अल्गॉल 58 के नाम से हुआ था। 1960 में इसमें थोड़ा परिवर्तन कर अल्गॉल 60 लाया गया। इसका उपयोग वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग उद्देश्य से किया जाता है, तथा यह गणितीय गणना करने में पूर्ण रूप से सक्षम है।

  • PL1-

PL1 का विकास सन् 1964 में IBM के द्वारा व्यावसायिक तथा वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के लिए किया गया था। यह एक सफल प्रोग्रामिंग भाषा है

  • 4. पास्कल (Pascal) –

सन् 1970 में निकलॉस विर्थ द्वारा पास्कल भाषा का विकास किया गया। इस समय अन्य भाषाओं में जो कमी थी उसे पास्कल में प्रदान करने की कोशिश की गई। इस भाषा में संरचित प्रोग्रामिंग तकनीकों (Structured Programming technique) की सुविधा प्रदान की गई। इसे विकसित करने का मूल प्रयोजन छात्रों को प्रोग्रामिंग के मूलभूत तत्वों से अवगत कराना था। यह शिक्षण कार्यों के लिए विकसित किया गया था।

  • बेसिक (BASIC) –

1964 में जॉन जार्ज कैमी और थॉमस यूजीन कुर्टज ने बेसिक भाषा का विकास किया। नये प्रोग्रामरों के लिए यह सरल तथा शक्तिशाली language है। कम्प्यूटर की सहायता से किसी भी कार्य को सम्पन्न करने के लिए प्रोग्राम या निर्देशों के समूह की आवश्यकता होती है

  • कोबोल (COBOL) –

इस भाषा का विकास व्यावसायिक हितों के लिए किया गया। इस भाषा में लिखे गये वाक्यों के समूह को पैराग्राफ कहते हैं। सभी पैराग्राफ मिलकर एक सेक्शन बनाते हैं और सेक्शनों से मिलकर डिविजन बनता है। कोबोल में गणितीय शब्दावली के लिए ADD, SUBTRACT और MULTIPLY का उपयोग होता है। यह अंग्रेजी भाषा की तरह है तथा इसमें सर्वाधिक उपयुक्त डाक्यूमेंटेसन संभव है।

  • लोगो (Logo) –

इस भाषा का विकास कम्प्यूटर शिक्षा को सरल बनाने हेतु किया गया। इसमें चित्रण इतना सरल है कि छोटे बच्चे भी चित्रण कर सकते हैं। लोगो भाषा में चित्रण के लिए एक विशेष प्रकार की त्रिकोणाकार आकृति होती है जिसे टरटल (Hurtle) कहते हैं। यह टरटल निर्देशों द्वारा किसी भी तरफ घुम सकता है।

  • ‘सी’ (C) –

सी प्रोग्रामिंग भाषा 1970 के दशक में डेनिस रिची द्वारा विकसित किया गया था। सी कन्याईलर सारे मशीनों/कम्प्यूटरों पर कार्य करने में सक्षम है। अतः इसका उपयोग बहुत ही व्यापक रूप से होता है। यह सामान्य उद्देशीय (General purpose) प्रोग्रामिंग भाषा है। इसका डिजाइन तो सिस्टम सॉफ्टवेयर बनाने के लिए हुआ था, पर इसका उपयोग अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Application Software) बनाने में भी काफी होता है

  • सी ++ (C++)  –

यह सिस्टम प्रोग्रामिंग के साथ-साथ सामान्य उद्देश्य (General purpose) प्रोग्रामिंग भाषा है। यह सी से थोड़ा बेहतर है तथा ऑब्जेक्ट उन्मुख (Object oriented) प्रोग्रामिंग भाषा है। C++, C की अपेक्षा कठिन प्रोग्ग्रामिंग भाषा है।

  • कोमल (COMAL) –

यह सन् 1973 में डेनमार्क के बेनेडिक्ट लॉफस्टड और ब्रौज किस्टनसन के द्वारा विकास किया गया था। कोमल, बेसिक और पास्कल भाषा का मिला-जुला रूप student education के लिए उपयोगी माना जाता है

  • प्रोलांग (Prolog) –

यह प्रोग्रामिंग इन लॉजिक (Programming in Logic) का संक्षिप्त है। यह डाटा स्ट्रक्चर का थनी संग्रह है। इसका उपयोग बुद्धिमान सिस्टम (Intelligent System), विशेषज्ञ सिस्टम (Expert System) को विकसित करने में किया जाता है, जो तार्किक और भावनात्मक प्रोग्रामिंग में संभव है।

  • आर पी जी (RPG-Report Program Generator) –

यह 1960 के दशक में IBM द्वारा विकसित किया गया था। यह व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए एक प्रोग्रामिंग भाषा है जो रिपोर्ट बनाकर देता है।

  • सी शार्प (C Sharp) –

सी शार्प को C# भी लिखा जाता है। C# एक कम्प्यूटर भाषा है, जो माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित की गई है। यह एक बहु कार्यात्मक तथा ऑब्जेक्ट ओरिएन्टेड प्रोग्रामिंग भाषा है।

जावा मूल रूप से सन माइक्रोसिस्टम द्वारा विकसित किया गया है और 1995 में इसे जारी किया गया। जावा, सिन्टैक्स सी तथा C ++ का डेरिभेटीव (Derivative) है। यह ऑब्जेक्ट ओरिएन्टेड भाषा है। यह सामान्य उद्देश्यीय प्रोग्रामिंग भाषा है जो विभिन्न विशेषताओं के कारण इंटरनेट या वर्ल्ड वाइड वेव के लिए उपयुक्त भाषा है।

 

कमांड भाषा (Command Languages) –

यह एक programming language है जिसके द्वारा उपयोगकर्ता operating system से संचार (Communication) स्थापित करता है।

कुछ कमांड भाषा निम्नलिखित हैं –

  1. डी सी एल (DCL-Digital Command Language) – ये DEC VAX/VMS ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ प्रयुक्त होता है।
  2. चौथी पीढ़ी की भाषा ( 4th GL) – तीसरी पीढ़ी की भाषाओं में प्रोग्राम लिखने के लिए बहुत सारे कोड लिखने होते हैं। इनमें त्रुटि ढूँढ़ना तथा कोई परिवर्तन करना कठिन होता है।

 

FAQ’S           

1. जावा मूल रूप से कब जारी किया गया।

जावा मूल रूप से सन माइक्रोसिस्टम द्वारा विकसित किया गया है और 1995 में इसे जारी किया गया।

2. पास्कल भाषा का विकास कब किया गया।

सन् 1970 में निकलॉस विर्थ द्वारा पास्कल भाषा का विकास किया गया।

3. सी प्रोग्रामिंग किसके द्वारा विकसित किया गया था।

सी प्रोग्रामिंग भाषा 1970 के दशक में डेनिस रिची द्वारा विकसित किया गया था।

 

Conclusion (निष्कर्ष)

तो दोस्तों आपको मेरी यह पोस्ट डिज़ाइन टूल तथा प्रोग्रामिंग भाषा (Design tool and programming language) क्या है कैसी लगी आशा है कि आपको अच्छी और हेल्पफुल लगी होगी डिज़ाइन टूल का उपयोग हम किसी भी प्रकार की डिज़ाइन के लिए करते है जो की प्रोग्रमिंग के लिए बहुत ही जरूरी होती है ऐसी ही पोस्ट के लिए हमसे जुड़े रहे तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे

 

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