व्यावहारिकता अध्ययन के चरणों का वर्णन कीजिए

नमस्कार दोस्तों आज आपको इस पोस्ट व्यावहारिकता अध्ययन के चरणों का वर्णन कीजिए के बारे में बताने जा रहे है व्यावहारिकता अध्ययन किसी भी परियोजना के लिए बहुत ही महत्पूर्ण माना जाता है इस प्रक्रिया में मुख्यता गणना होती है जिस्म की सभी संभव प्रणालियों जो वर्तमान में प्रचलित हो उनकी गणना की जाती है। तो चलिए दोस्तों व्यावहारिकता अध्ययन के चरण के बारे में जानते है-

व्यावहारिकता अध्ययन के चरणों का वर्णन कीजिए

व्यवहारिकता अध्ययन की आवश्यकता के कारणों के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाने के बाद व्यवहारिकता अध्ययन की विभिन्न चरणों के नाम निम्नलिखित है

  • परियोजना के लिए एक टीम व उसके नेता का चयन।
  • प्रणाली से संबंधित फ्लो चार्ट
  • संभव प्रणालियों की गणना।
  • संभव प्रणालियों की विशेषताओं का पता लगाना हुआ उनका वर्णन करना।
  • मानकों के आधार पर प्रणाली प्रदर्शन व लागत।
  • सर्वोत्तम संभव प्रणाली का चयन।
  • प्रतिबिंब रिपोर्ट का निर्माण व प्रबंधन को उसकी प्रस्तुति।

 

  • परियोजना के लिए टीम का निर्माण व नेता का चयन

व्यावहारिकता अध्ययन में सबसे पहले चरण कार्य के लिए टीम बनना है टीम में साधारणता कुछ लोग जो कुछ सामान कंप्यूटर ज्ञान रखते हैं वह संस्थान के कार्यों से संबंधित हो लिए जाते हैं एक नेता उसे टीम के लिए किसी वरिष्ठ प्रणाली विश्लेषक को बनाया जाता है इस टीम को बनाने का उद्देश्य संस्थान के लोगों को इस कार्य में शामिल कर उनके अनुभव हुआ ज्ञान का लाभ उठाना होता है जो की प्रणाली की सफलता के लिए आवश्यक है।

इस टीम के संस्थान से बाहर के कर्मचारी व कंप्यूटर ज्ञान के लिए रखे जाते हैं टीम में अधिकतर अत्यंत जटिल परियोजनाओं के लिए ही बनाई जाती है अन्यथा छोटी परियोजनाओं में प्रणाली विशेषज्ञ का कार्य करने में एक प्रणाली विशेषज्ञ सक्षम होता है।

 

  • प्रणाली से संबंधित फ्लो चार्ट

व्यावहारिकता अध्ययन का अगला चरण प्रणाली से संबंधित फ्लोचार्ट बनाना है सूचना संकलन के समय तैयार फ्लो चार्ट व डाटा फ्लो डायग्राम का इस समय पुनरीक्षण किया जाता है फ्लो चार्ट के साथ-साथ इनपुट आउटपुट व डाटा प्रवाह भी दर्शाया जाता है।

 

  • संभव प्रणालियों की गणना करना।

इस चरण में सभी प्रणालियों व उप प्रणालियों की पहचान की जाती है जो की आवश्यक आउटपुट प्रदान कर सकते में सक्षम हो इस स्थिति में ही हम तार के ज्ञान लॉजिकल सिस्टम से भौतिक प्रणाली सर्जिकल सिस्टम के बारे में सूचना प्रारंभ कहते हैं इसके अतिरिक्त यदि सिस्टम में कोई अन्य प्रणाली सिस्टम है तो उसके विभिन्न घटकों का अध्ययन भी कर लिया जाता है

 

  • संभव प्रणालियों की विशेषताओं का पता लगाना हुआ उनका वर्णन करना

इस चरण में सभी संभव प्रणालियों जिन्हें पिछले चरण में पहचान गया था उनके बारे में सभी जानकारी एकत्र कर ली जाती है तथा प्रत्येक प्रणाली की सिस्टम जरूरत व उनके द्वारा उपयोग में ले गए इन पत्तों को भी वर्णित कर देते हैं प्रणाली कब से कार्यरत है वह इसका कितना फायदा संस्थान को हो रहा है यह सब लिखकर तैयार किया जाता है।

 

  • संभव प्रणालियों का उनकी क्षमता व मूल्य के परिपेक्ष में मूल्यांकन

प्रत्येक संभव प्रणालियों का मूल्यांकन उनकी क्षमता के आधार पर किया जाता है इस मूल्यांकन में व्यवहारिकता दर से पूर्व निश्चित किए गए अवधारणाओं को आधार माना जाता है प्रणाली की शुद्धता क्षमता उस संस्थान को अब तक हुआ लाभ इन सब तथ्यों के आधार पर जांची जाती है इस मूल्यांकन में प्रणाली की लागत वापसी समय उसके लिए उपयोगकर्ता को प्रशिक्षित देने की कीमत उसे प्रणाली से अब तक प्रति उस संस्थान को हुआ लाभ हुआ उसके मेंटेनेंस में हुआ खर्च इन सभी कारकों का अध्ययन में उपयोग किया जाता है।

 

  • मानकों के आधार पर प्रणाली प्रदर्शन व लागत।

इस चरण का उपयोग केवल तब किया जाता है जब उपरोक्त चरणों में उपलब्ध प्रणालियों में से सबसे उत्तम प्रणाली को ढूंढ पाना कठिन हो पा रहा हो इस चरण में सबसे आसान तरीका यह है कि किसी भी उपलब्ध प्रणालियों को विभिन्न मानकों के आधार पर चार्ट बनाकर उनकी तुलना करें और उसके बाद अपना निदा लिया जाए कि किस प्रणाली को चुना जाए।

 

  • सर्वोत्तम प्रणाली का चयन।

पूर्व चरण में सांख्यिकी रूप से विभिन्न तुलना मानकों के आधार पर निर्णय लेने का सबसे आसान तरीका उपयोग में लाया जाता है जबकि जबकि कि नहीं प्रणालियों की तुलनाएं हम अपनी अवधारणा को संस्थान की स्ट्सटेजी के आधार पर भर देकर भी उनकी तुलना कर सकते हैं इसी प्रकार कोई अन्य फलन या सांख्यिकी विधि उपयोग में लाकर हम नोएडा ले सकते हैं कि कौन सी प्रणाली पर कार्य किया जाना है।

 

  • प्रतिवेदन का निर्माण व प्रबंधन को उसकी प्रस्तुति

व्यावहारिकता अध्ययन के अंतर्गत सबसे अंतिम चरण व्यवहारिकता अध्ययन रिपोर्ट का निर्माण है यह रिपोर्ट संस्थान के प्रबंधन के लिए प्रणाली के संबंध में एक औपचारिक दस्तावेज है जो की प्रणाली से संबंधित क्षेत्र की पूर्ण जानकारी को सामान्य  भाषा में प्रदान करने में सक्षम होना चाहिए इसके लिए कोई मानक प्रपत्र नहीं है प्रत्येक प्रणाली विश्लेषित अपनी व उपयोगकर्ता की आवश्यकता स्वयं ही इसका निर्माण करता है।

व्यावहारिकता अध्ययन रिपोर्ट दो प्रकार की होती है

  1. लिखित रिपोर्ट
  2. मौखिक रिपोर्ट

 

लिखित रिपोर्ट

  • जैसा के नाम से स्पष्ट है या रिपोर्ट कागज पर मुद्रित कर प्रबंधन कोटी जाती है यह रिपोर्ट कागज पर मुद्रित कर प्रबंधन को की जाती है तथा यह प्रमुख दस्तावेज जिसका उपयोग समय-समय पर दोनों पक्षों संस्थान व प्रणाली विकास करने वाले कंपनी के द्वारा किया जाता है इस रिपोर्ट के मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं
  • शीर्षक पेज रिपोर्ट का शीर्षक प्रशासन का दिनांक रिपोर्ट के भागों की सूची प्रस्तावना उद्देश्य प्रस्ताव लाभ विस्तृत निष्कर्ष है वर्तमान प्रणाली अथवा वर्तमान प्रक्रिया की लागत अध्ययन वर्तमान प्रणाली की सीमाएं बढ़ाएं स्थापित प्रणाली तथा उसे उपेक्षाएं विवरण
  • सभी संभव प्रणालियों के तुलनात्मक अध्ययन कंप्यूटर की आवश्यकता प्रणाली के लिए आवश्यक प्रशिक्षण का विवरण कर्मचारियों की आवश्यकता लागू होने की विधि
  • प्रणाली लागू होने पर संस्थान को लाभ है सुझाव सर्वोत्तम प्रणाली की जानकारी अन्य आवश्यक सुझाव परिशिष्ट समस्त संकट हस्तावेज प्रशिक्षण उत्तर व आउटपुट अंशंख्यिकी तथ्य।
  • यदि व्यवहारिकता अध्ययन रिपोर्ट विस्तृत रूप से पूर्ण कुशलता के साथ नियमित की जाती है तो प्रस्तावित प्रणाली के आए सुबह की कृति होने की संभावना है काम हो जाती है यह पूर्णत व्यापारिकता अध्ययन के लिए बनाई गई टीम पर निर्भर होती है परंतु अंतिम निर्णय प्रबंधन का होता है प्रबंधन की अनुमति प्रणाली योजन के आरंभ के पूर्व ले लेनी जानी चाहिए।

 

मौखिक रिपोर्ट

  • व्यावहारिकता अध्ययन एक लिखित रिपोर्ट ही होता है परंतु इसका मौखिक प्रस्तुतीकरण वह भी आवश्यक होता है क्योंकि वरिष्ठ प्रबंधन के पास कई बार इतना समय नहीं होता कि वह पूरी रिपोर्ट का अध्ययन कर सके।
  • इसके अलावा भी मौखिक रिपोर्ट के अनेक लाभ है सर्वप्रथम मौखिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाले व्यक्तियों में दो गुण होना आवश्यक है पहले संबंधित प्रणाली का पूर्ण ज्ञान हुआ उसे व्यक्त करने की कुशलता तथा दूसरा पूछे जाने पर संतोष पर जवाब दें सकते की योग्यता।
  • वैसे तो मौखिक रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करने को किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता है परंतु इसमें मुख्यतः दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक है पहले यह प्रबंधन को व्यवहारिकता अध्ययन की संक्षिप्त समय में पूर्ण जानकारी दे सके
  • वह यह प्रबंधन को वर्तमान प्रणाली वह प्रस्तावित प्रणाली का मुख्य अंतर समझ सके मौखिक रिपोर्ट के प्रस्तुतीकरण में वीडियो प्रोजेक्टर अथवा किसी प्रोजेक्ट का उपयोग करना चाहिए तथा मौखिक रिपोर्ट प्रस्तुतीकरण अधिक बड़ा नहीं होना चाहिए।

 

FAQ’S

1. व्यावहारिकता अध्ययन में सबसे पहले चरण क्या है?

व्यावहारिकता अध्ययन में सबसे पहले चरण कार्य के लिए टीम बनना है टीम में साधारणता कुछ लोग जो कुछ सामान कंप्यूटर ज्ञान रखते हैं वह संस्थान के कार्यों से संबंधित हो लिए जाते हैं

2. व्यावहारिकता अध्ययन का अगला चरण –

व्यावहारिकता अध्ययन का अगला चरण प्रणाली से संबंधित फ्लोचार्ट बनाना है सूचना संकलन के समय तैयार फ्लो चार्ट व डाटा फ्लो डायग्राम का इस समय पुनरीक्षण किया जाता है

3. व्यावहारिकता अध्ययन रिपोर्ट कितने प्रकार की होती है

व्यावहारिकता अध्ययन रिपोर्ट दो प्रकार की होती है-

  1. लिखित रिपोर्ट
  2. मौखिक रिपोर्ट

 

Conclusion (निष्कर्ष)

तो दोस्तों आपको मेरी यह पोस्ट व्यावहारिकता अध्ययन के चरणों का वर्णन कीजिए केसी लगी आशा है कि आपको पसंद आई होगी और हेल्पफुल रही होगी अगर आपका कोई सवाल है तो comment बॉक्स में comment जरूर करे तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे

 

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