लेखांकन शब्दावली क्या है? इसके 21 पद, और खातों का वर्गीकरण।

नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में आपको लेखांकन शब्दावली क्या है? इसके 21 पद, और खातों का वर्गीकरण। के बारे में अच्छे से बताया और समझाया जायेगा ताकि आप इस पोस्ट से कुछ न कुछ सीख के जाओ लेखांकन शब्दाबली का उपयोग बहुत ही जरूरी है इससे हमको इसके बारे में अच्छे से पता होना बहुत जरूरी होता है आज आपको इस पोस्ट में लेखांकन शब्दाबली के बारे में बताउगा तो चलिए शुरू करते है –

 

लेखांकन शब्दावली क्या है?

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एकाउंटिंग लेखांकन शब्दाबली करने से पहले कुछ आधारभूत एकाउंटिंग लेखांकन पदों को समझना आवश्यक होता है क्योंकि व्यापार में समानता में का प्रयोग बहुत किया जाता है इन पदों को एकाउंटिंग लेखांकन शब्दावली कहते हैं।

लेखांकन शब्दावली के 21 पद (शब्द) 

कुछ प्रमुख लेखांकन शब्दाबली के 21 पद (शब्द) निम्ननुसार है –

1. लायबिलिटीज

जो राशि किसी फर्म द्वारा अन्य पक्षों को देनी हैं उसे लायबिलिटीज कहते हैं अन्य शब्दों में फॉर्म को कुछ संपत्तियां स्वामी के अतिरिक्त अन्य पक्षों के द्वारा भी दी जाती हैं इन संसाधनों को फॉर्म की लायबिलिटीज कहते हैं।

लायबिलिटीज  को निम्न दो भागों में विभाजित किया गया है-

  1.  करंट लायबिलिटीज – ये वे दायित्व होते हैं जिनका भुगतान निकट भविष्य में ही (समानता एक वर्ष के अंतर्गत) देय हो जैसे- लेनदार, बैंक अधिविक्रय, देय विपत्र,अल्पकालीन ऋण आदि
  2.  फिक्स्ड लायबिलिटीज – ये वे दायित्य होते हैं जिनका भुगतान एक दीध समय के बाद किया जाता है जैसे- लॉन्ग टाइम, लोन ऋण पत्र आदि।

2. कैपिटल पूंजी

जो धन व्यापार के स्वामी ने व्यापार में लगा रखा है अर्थात तो जो धन व्यापार द्वारा अपने स्वामी को देना है पूजी कहलाता है अन्य शब्दों में कुल पूंजी में से कुल बाहा देय धन को घटाने के बाद है जो राशि शेष बचती है उसे पूंजी कहते हैं पूंजी को व्यापार का शुद्ध मूल्य या शुद्ध संपत्ति भी कहते है।

3. रिवेन्यू

व्यापारिक लेनदेन के परिणामस्वरूप जो मद स्वामी की पूजी में वृधि करती है उसे Revenue कहते है Revenue माल और सेवाओं के विक्रय के फलस्वरुप होती है जैसे-माल की बिक्री से प्राप्त धन राशि तथा किराया प्रति से आदि।

4. एसेट्स संपत्ति

मूल्य के गुण से युक्त व्यापार के प्रत्येक वस्तु जिस पर व्यापारी का स्वामित्व होता है संपत्ति कहलाती है उदाहरण के लिए जो धन एक फर्म को अपने देनदारो से देना है तथा जो माल,नगदी, फर्नीचर, मशीन या भवन आदि उसके पास है उन्हें उसे उस फर्म की संपत्ति कहते हैं

यह संपत्ति निम्न प्रकार की होती है-

  •  करंट एसेट्स – यह व्यापार की भी संपत्ति है जो पुनः बिक्री के लिए या नगद में परिवर्तन करने के लिए अल्प समय के लिए रखे जाती हैं उनके प्रमुख उदाहरण है- बिना बिका हुआ माल, देनदार, प्राप्य विपत्र, बैंक का शेष इत्यादि।
  •  फिक्स्ड एसेट्स – ये वे संपत्तियां होती है जो व्यापर को चलाने के उद्देश्य से परचेस की जाती हैं न कि पुनः  विक्रय के लिए | इनके प्रमुख उदाहरण है- भूमि, भवन, मशीनरी, फर्नीचर, मोटर- गाड़ी आदि।

5. एकाउंट (खाते)

किसी व्यक्ति संपत्ति या आय-व्यय से संबंधित समस्त व्यवहारों को एक स्थान पर लिखने के उद्देश्य से उस व्यक्ति, संपत्ति, आय तथा व्यय का अलग लेजर खोल दिया जाता है जिसमें उसे संबंधित समस्त व्यवहार लिखे जाते हैं जैसे मोहन के खाते में समस्त व्यवहारों को लिखा जाएगा जो किसी एक समय में मोहन के साथ हुए हैं।

अतः यह कहा जा सकता है कि एक स्थान पर उप शीर्षको के अंतर्गत इकट्ठे की गई एक जैसी एंट्री को अकाउंट कहते हैं जिस बुक में यह विभिन्न खाते रखे जाते हैं वह लेजर कहलाती है तथा अकाउंट के व्यवहारों की एंट्री करना लेजर पोस्टिंग कहलाता है।

6. बुक्स ऑफ एकाउंट

जिन बहियो, पुस्तकों या रजिस्टर में विभिन्न व्यापारिक व्यवहारों का लेखा किया जाता है वे लेखा पुस्तके या बहिया कहलाती हैं।

7. एक्सपेंसेस (व्यय)

उत्पादन या प्रोडक्ट की उत्पत्ति के लिए प्रयोग की गई वस्तुओं की लागत को व्यय कहते हैं बिहार के परिणाम स्वरूप स्वामी की पूंजी में कमी होती है किराया, कमीशन, ब्याज,मजदूरी, वेतन, आदि बाग कुछ प्रमुख उदाहरण है।

8. एंट्री (प्रविष्टि)

किसी व्यवहार को हिसाब की पुस्तकों में लिखना एंट्री करना कहलाता है।

9. ट्रांजिकेशन (सौदा)

दो या अधिक व्यक्तियों के बीच धनराशि व्यक्तियों या सेवाओं जिनका मूल्यांकन मुद्रा में किया जा सकता है का आदान-प्रदान या विनियम में व्यवहार या लेनदेन सौदा कहलाता है माल खरीदना या बेचना भुगतान करना या भुगतान प्राप्त करना, कोई आय प्राप्त करना अथवा कोई व्यय करना,ऋण लेना या ऋण देना आदि व्यवहारों की कुछ प्रमुख उदाहरण है।

जो लेनदेन कैश या बैंकों द्वारा किए जाते हैं वे कैश ट्रांजैक्शन कहलाते हैं जिन व्यव्हार को करते समय कैश का लेनदेन तुरंत नहीं होता बल्कि कुछ समय बाद किया जाना होता है वे व्यवहार क्रेडिट ट्रांजैक्शन कहलाते हैं।

10. सेल्स (बिक्री)

विक्रय शब्द का प्रयोग केवल माल बेचने के लिए किया जाता है जब माल को नगद बेचा जाता है तो उसे कैश सेल्स कहते हैं किंतु जब माल उधार बेचा जाता है तो उसे क्रेडिट सेल्स कहते हैं विक्रय सेल्स में नगद और उधर दोनों प्रकार के विक्रय का समावेश होता है।

11. बैड डेबेट्स (डूबट ऋण)

जब कोई ऋण या देनदार भुगतान करने से मना कर देता है अथवा कुछ ऋण का भुगतान नहीं करता तो कुछ तो इस प्रकार जो राशि डूब जाती है अर्थात प्राप्त नहीं होती है वह Bad Debets कहलाती है यह व्यावहारिक हानि होती है।

12. परचेज (क्रय)

परचेज शब्द का प्रयोग केवल माल के खरीदने के लिए किया जाता है माल शब्द का आशय उन वस्तुओं से लाभ पर बेचने के लिए खरीदी जाती हैं या निर्मित की जाती हैं जो माल नगद खरीद जाता है उसे कैश परचेज कहते हैं परचेज शब्द में नगद और उधार  दोनों प्रकार के क्रयो को शामिल किया जाता है।

13. डेबिट

खाते के दो पक्ष होते हैं नाम तथा जमा। किसी खाते के नाम या डेबिट पक्ष में किसी व्यवहार की एंट्री की जाती है तो इसे उसे खाते को डेबिट कहते हैं सलिल का लेजर डेबिट करने का अर्थ होता है कि मोहन खाते के डेबिट या नाम पक्ष में एंट्री की जाए।

14. क्रेडिट

किसी खाते के जमा पक्ष में प्रविष्टि करना क्रेडिट करना कहलाता है सेल्स लेजर क्रेडिट करने का आए थे है की बिक्री खाते के क्रेडिट पक्ष में एंट्री की जाए।

15. स्टॉक (माल)

स्टॉक शब्द का अर्थ उस माल से है जो किसी विशेष तिथि को बिना बिका रह जाता है स्टॉक का मूल्यांकन करने के लिए गोदाम रखे हुए बिना बिके माल की पूरी लिस्ट तैयार की जाती है और माल की मात्रा के साथ-साथ उसका मूल्य भी लिखा जाता है स्टॉक का मूल्यांकन लागत मूल्य अथवा बाजार मूल्य में से जो भी काम है,उसे पर किया जाता है।

स्टॉक 2 प्रकार का होता है-

  1. प्रारंभिक स्टॉक – प्रारंभिक स्टॉक वह होता है जो फार्म के पास वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में होता है।
  2. अंतिम स्टॉक – अंतिम स्टॉक वह होता है जो फर्म द्वारा वित्तीय समय की समाप्ति पर मूल्यांकन करके निर्धारित किया जाता है।

16. डिस्काउंट (छूट)

जब व्यापारी द्वारा ग्राहकों को माल के विक्रय में किसी प्रकार की छूट दी जाती है तो उसे डिस्काउंट या कटौती कहते हैं जब वस्तु की बिक्री के आधार पर उसके मूल्य में कुछ छूट दी जाती है तो उसे ट्रेड डिस्काउंट कहते हैं लेकिन जब देनदारी को वस्तुओ के मूल्य मे से तुरंत भुगतान करने के लिए कुछ राशि की छूट दी जाती है तो उसे कैश डिस्काउंट कहते हैं।

17. लॉस (हानि)

हानि संपत्ति की वह नुकसान है जिससे व्यापारिक संस्था को किसी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होता है जो हानि और व्यय में यह अंतर होता है कि व्यय लाभ कमाने की दृष्टि से किए जाते हैं किंतु हानि नहीं। उदाहरण संपत्ति का चोरी हो जाना हानि है किंतु एक स्टेशनरी का खर्चा व्यय है।

18. ड्राविग्स (आहरण)

जब व्यापार का स्वामी अपने निजी उपयोग के लिए व्यापार से धन अथवा वस्तु निकलता है उसे ड्राविग्स कहते हैं ड्राविग्स से पूंजी घट जाती है।

19. डेविटर (देनदार)

वह व्यक्ति जिसे व्यापार को रुपया लेना है इसे देनदार भी कहते हैं।

20. प्रोपराइटर (स्वामी)

जो व्यक्ति व्यापार में धन लगता है तथा जोखिम उठाता है उसे व्यापार का स्वामी कहते हैं।

21. क्रेडिटर (लेनदार)

वह व्यक्ति जिसे व्यापार से रुपया लेना है इस लेनदार भी कहते हैं।

 

खातों का वर्गीकरण 

बैलेंस शीट इक्वेशन या अकाउंटिंग समीकरण के दृष्टिकोण से खातों का परीक्षण निम्न प्रकार किया जा सकता है।

1. प्रोपराइटर अकाउंटिंग अथवा कैपिटल अकाउंट

ये वे खाते हैं जिनका संबंध व्यापार के स्वामी से होता है उदाहरणता, स्वामी का प्रॉपर्टी कैपिटल अकाउंट।

2. एसेट्स एकाउंट

ये वे खाते होते हैं जो व्यापार के इकोनामिक रिसोर्सेस होते हैं इस प्रकार के खातों में कैश, डेबिट, लैंड, मशीनरी, इन्वेस्टमेंट आदि शामिल होते हैं।

3. इनकम अकाउंट

ये वे खाते होते हैं जो व्यापार के व्यय के खातों को प्रदर्शित करते है, जैसे-व्यय आदि

4. लायबिलिटीज अकाउंट

ये वे खाते होते हैं जो व्यापार के स्वामी को छोड़कर व्यापार के अन्य देयधन से संबंधित होते हैं इस प्रकार के खाते में क्रेडिट, लोन आदि आते हैं।

5. बैलेंस अकाउंट

प्रया बर्ष के अंत में अथवा प्रत्येक महीने के अंत में या किसी निश्चित समय के अंत में खातों का शेष धन निकाला जाता है शेष धन निकालने का अभिप्राय किसी विशेष खाते से संबंधित समस्त नाम और जमा के लेनदेन का अंतर ज्ञान करना है यदि एक व्यक्ति ने ₹2000 का माल प्राप्त किया है और उसने 1250 का भुगतान किया है तो ऐसी स्थिति में उसे 750 रुपए देने हैं यह 750 रुपए की बैलेंस कहलाएगी।

यदि किसी खाते के नाम की ओर का जोड़, जमा की ओर के जोड़ से अधिक है तो इस खाते का शेषधन डेबिट बैलेंस कहलाएगा  यदि जमा की ओर का जोड़, नाम की ओर के जोड़ से अधिक है तो शेषधन क्रेडिट बैलेंस कहलाएगा जोड़ लगाने से पहले शेषधन उस ओर लिखा जाता है जिस ओर का जोड़ कम हो।

यदि शेषधन नाम की और लिखना हो तो टू बैलेंस कैरीड डाउन और जमा की ओर लिखना है तो बाई बैलेंस कैरीड डाउन लिखा जाता है इसके बाद दोनों और का जोड़ लगाया जाता है

FAQ’s 

1.लायबिलिटीज किसे कहते हैं ?

जो राशि किसी फर्म द्वारा अन्य पक्षों को देनी हैं उसे लायबिलिटीज कहते हैं

2. लेनदार कौन है ?

वह व्यक्ति जिसे व्यापार से रुपया लेना है इस लेनदार भी कहते हैं।

3. प्रारंभिक स्टॉक क्या है ?

प्रारंभिक स्टॉक प्रारंभिक स्टॉक वह होता है जो फार्म के पास वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में होता है।

4. अंतिम स्टॉक क्या है ?

अंतिम स्टॉक अंतिम स्टॉक वह होता है जो फर्म द्वारा वित्तीय समय की समाप्ति पर मूल्यांकन करके निर्धारित किया जाता है।

 

Conclusion (निष्कर्ष) –

तो दोस्तों मेरी यह पोस्ट लेखांकन शब्दावली क्या है? इसके 21 पद, और खातों का वर्गीकरण। आपको हेल्पफुल लगी होगी तथा आपको इस पोस्ट से कुछ न कुछ नया सीखने को मिला होगा इस तरह की पोस्ट की जानकारी को पाने के लिए आप मेरे ब्लॉग से जुड़े रहे और अपने दोस्तों को शेयर जरूर करे।

 

 

 

 

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