लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि तथा सॉफ्टवेयर क्या है

नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में आपको लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि तथा सॉफ्टवेयर क्या है के बारे में आपको पूरी जानकारी देंगे लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम की मुख्य खूबिया स्थिर तथा सुरक्षित है इस कारण लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम काफी लोकप्रिय हुआ है लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम एक ओपन सोर्स नेटवर्क सॉफ्टवेयर है। आप कोई अन्य कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आवश्यक फंक्शन सोर्स कोड में जोड़ सकते हैं लिनक्स की बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखते हुए लगता है कि संभवत किसी दिन लिनक्स विंडोज की जगह ले लेगा। तो चलिए शुरू करते हैं-

लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?

लिनक्स मल्टी प्रोग्रामिंग, मल्टी यूजर, मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है  क्योंकि इस प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर इतिहास में आज तक उपलब्ध नहीं हुआ है लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम (Unix) यूनिक्स का ही GUI version है जिस प्रकार विंडोज, डॉक्स का GUI version है वैसे तो यूनिक्स (Unix) का Original GUI Version एक्स विंडो (X-Windows) है पर इसमें और अधिक परिवर्तन का लिनक्स का निर्माण किया गया।

  • लिनक्स का GUI इंटरफेस बहुत शक्तिशाली है क्योकि कंप्यूटर के क्षेत्र में इसके द्वारा शायद ही कोई ऐसा कार्य हो जो नहीं किया जा सकता है।
  • इसका फाइल स्ट्रक्चर पूरी तरह इंटरनेट कंपैटिबल (COMPITABLE ) है हालांकि अभी बहुत ज्यादा लोगों ने इसे अपनाया नहीं है क्योंकि आम user  के लिए इसे ऑपरेट करना अभी मुश्किल है। 
  • लिनक्स के विभिन्न वर्जन मै से रेड हॉट लिनक्स (Red Hat Linux) सर्वाधिक लोकप्रिय है इस समय रेड हॉट लिनक्स (Red Hat Linux) 7.0 प्रचलन में है।
  • इसके अलावा ड्रैगन लिनक्स (Dragon Linux), सुसे लिनक्स (Suse Linux), और मैनड्रैक लिनक्स (Mandrake Linux) भी काफी प्रचलन में हैं।
  • कोई भी इसके सोर्स कोड में परिवर्तन कर इसे अपने मुताबिक कस्टमाइज कर सकता है लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का सोर्स कोड ‘सी’ लैंग्वेज (C Language) में लिखा जाता है।
  • कोई भी यूजर जिसे सी लैंग्वेज में प्रोग्रामिंग का अनुभव हो, वह इसके सोर्स कोड को बदल सकता है वैसे तो लाइनेक्स में लगभग सभी कार्यों के लिए टूल उपलब्ध है।

 

लिनक्स के लाभ –

लिनक्स के लाभ निम्नलिखित है-

  • लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के दो मुख्य लाभ स्थायित्व तथा सुरक्षा है। 
  • इसी कारण यह कंप्यूटर बाजार में अपना स्थान बना पाया है और काफी लोगों के प्रिय भी हो रहा है।
  • लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य भाग करनाल है, जो एप्लीकेशन क्रिएशन से पूरी तरह से सुरक्षित है। 
  • लाइनेक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के स्थायित्व का मुख्य कारण है, इसके द्वारा प्रदान किया जाए वाली उच्च स्तरीय सुरक्षा लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम प्रात्येक यूजर को एक फाइल सेट और डायरेक्टरी में जोड़ देता है। 
  • इसमें यूजर किसी भी फाइल को पढ (Read) सकता है तथा इसमें सुधार भी कर सकता है।
  • लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के स्थायित्व का दूसरा मुख्य कारण है कि इसमें विंडोज की तरह सेंट्रल सॉफ्टवेयर नहीं होता है।
  • विंडोज रजिस्ट्री में, कंप्यूटर में उपलब्ध सॉफ्टवेयर के बारे में सभी सूचना मौजूद रहती है यदि इसकी रजिस्ट्री में कोई खराबी आ जाती है तो पूरा सिस्टम ही खराब हो जाता है। 
  • विंडोज में हर सेट एक सा  नजर आता है जबकि लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रत्येक कार्य के लिए अलग-अलग इंटरफेस के अलावा टूल और अनुप्रयोग का सेट होता है।

 

लिनक्स से नुकसान (हानि)-

  1. लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम की सबसे बड़ी कमी है इसमें आम यूजर द्वारा उपयोग करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
  2. लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में नया हार्डवेयर जोड़ना काफी कठिन काम होता है। 
  3. लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में नया हार्डवेयर जुड़ना इसलिए कठिन होता है क्योंकि हार्डवेयर बनाने वाली कंपनी अपने हार्डवेयर के लिए ही ड्राइवर्स (Drivers) देती है। 
  4. लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपलब्ध सॉफ्टवेयर की पूरी जानकारी यूजर को नहीं होती है। 
  5. जबकि विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के अनेक विकल्प मौजूद हैं यूजर ऐसा सॉफ्टवेयर चाहता है जिसके बारे में उसकी जानकारी हो।
  6. इसमें यूजर को कमांड याद रखनी पड़ती है तथा यदि किसी कमांड का गलत उपयोग किया जाता है तो error आती है। 
  7. हालांकि लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में ग्राफिकल टूल होते हैं, जो यूजर को ऑपरेट करने में मदद करते हैं लेकिन फिर भी लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए यूजर को उसकी कमांड लाइन की जानकारी होना बहुत ही आवश्यक होता है।

 

लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास –

  • लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास लिनक्स तोरर्बेल्ड्स (Linux Torvalds) सन 1991 में हेल्सिकी की विश्वविद्यालय में छात्र जीवन में किया।
  • तोरर्बेल्ड्स (Torvalds) ने ही करनाल (Kernal) का विकास किया था जो की लिनक्स का हृदय कहलाता है। 
  • तोरर्बेल्ड्स (Torvalds) ने इसे लिखने के बाद इंटरनेट के माध्यम से अन्य लोगों से इसके विकास हेतु सहयोग किया क्योंकि लाइसेंस का सोस कोड इंटरनेट पर उपलब्ध कराया गया जो की पूर्णता निशुल्क है।
  • कोई भी user जिसे सी प्रोग्रामिंग की कोडिंग आती है वह इसमें बदलाव कर सकता है।

 

लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम की लोकप्रियता –

लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम निम्न कारणों से लोकप्रिय हो रहा है क्योकि इस का यूज़ काफी अच्छा है तथा इसका मार्किट में user के लिए इसके लिए अपने काम के साथ अच्छा reselt देता है तभी तो लिनक्स का विंडोज की जगह लेने की तैयारी में है इसी वजह से यह लोकप्रिय हो रहा है।

  1. मल्टीयूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Multiuser operating System)  
  2. खुला सोर्स कोड (Open Source code)
  3. विश्वाशनीय ऑपरेटिंग सिस्टम (Reliable operating System)
  4. नेटवर्क में उपयोगी (Network Compatitable)

 

लिनक्स के लिए आवश्यक हार्डवेयर –

 लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए कम से कम 386 Based Processor तथा 64GB रैम होना आवश्यक है लेकिन इस प्रकार के कंप्यूटर पर एवं विंडोज  तथा ग्राफिकल यूजर इंटरफेस काम नहीं करता है।

  1. Pentiinum – 133 MHz या उससे ऊपर का सीपीयू 
  2. 32 MB रेम (ग्राफिक मोड़ के लिए 64 MB रेम आवश्यक है 
  3. 4GB हार्ड डिस्क (हार्ड डिस्क के पार्टीशन में कम से कम 350 MB स्थान खाली (रिक्त) हो 
  4. वीडियो कार्ड 
  5. सीडी रोम ड्राइव।

 लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य दो भाग –

  • लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य दो भाग करनाल (Kernal) और शैल  (Shell) होते हैं।
  • करनाल (Kernal) लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का कोर (Core) प्रोग्राम होता है करनाल लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का दिमाग है। 
  • इसका कार्य डायरेक्टरी की देखभाल करना इनपुट, आउटपुट तथा प्रोग्राम की प्रोसेसिंग करना आदि है।
  • शैल (Shell) भी लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का एक भाग है जो की यूजर के साथ सीधे संपर्क में रहता है। 
  • यह यूजर द्वारा दिए गए command को इंटरप्रेट  (Interpret) करके करनाल (Kernal) को बताता है कि क्या करना है।
  • लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में चलने वाली सभी प्रोग्राम सीधे करनाल (Kernal) के संपर्क में रहते हैं और शैल (Shell) से उनका कोई संपर्क नहीं होता है। 
  • करनाल (Kernal) के द्वारा ही कंप्यूटर हार्डवेयर को नियंत्रित करके उनका उचित उपयोग यूजर से करवाया जाता है।
  • करनाल (Kernal) ऑपरेटिंग सिस्टम में कोई भी समस्या आने पर उसे रुकने नहीं देता है।

 

FAQ’s 

1. लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य दो भाग कौन-कौन से होते हैं ?

लिनक्स के दो मुख्य भाग करनाल और सेल होते हैं। 

2.  लिनक्स ऑपरेटिंग  सिस्टम के लिए कम से कम कितनी एमबी Processer और कितना एमबी रैम होना चाहिए ?

लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए 133 महज या उसके ऊपर का सीपीयू तथा 32 mb का रेम आवश्यक होना चाहिए।

 

Conclusion (निष्कर्ष) –

तो दोस्तों मेने आपको इस पोस्ट में लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि तथा सॉफ्टवेयर क्या है  के बारे में पूरी जानकारी दी है आपको इस पोस्ट को पढने के बाद पूरा पूरा लिनक्स के बारे में पता चल गया होगा आशा है कि आपको मेरी ये पोस्ट अच्छी लगी होगी इस पोस्ट से रिलेटेड कुछ सवाल है तो आप मुझे comment करे और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

 

 

 

 

 

 

 

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