टेस्ट प्लानिंग (Test Planning) का सिस्टम में क्या योगदान है बताइए।

(Test Planning in hindi)- नमस्कार दोस्तों आज आपको टेस्ट प्लानिंग (Test Planning) का सिस्टम में क्या योगदान है बताइए। के बारे में फुल इनफार्मेशन के साथ बताया जायगा ताकि आपका कीमती समय बच सके और सही सही जानकारी मिल सके इस पोस्ट में जितनी भी जानकारी मिलेगी वह पूरी तरह से सही सही मिलेगी किसी भी प्रकार की इधर उधर की जानकारी नहीं मिलेगी।

टेस्ट प्लानिंग (Test Planning) क्या है ?

टेस्ट प्लानिंग सिस्टम टेस्टिंग का पहला कदम एक ऐसा प्लान बनाना है जो सिस्टम के सारे पहेलियों का परीक्षण कर सके यह इस प्रकार से होना चाहिए की बड़ी संख्या के यूजर्स के बीच सिस्टम की विश्वनीयता बढ़ाने में मदद मिले टेस्टिंग में भी एक मनोविज्ञान होता है।

समानता प्रोग्रामर यूनिट टेस्टिंग में बेहतर काम करते हैं क्योंकि टेस्टिंग की विधि तथा उसके स्तर पर उनकी ओर से डॉक्यूमेंट एवं रिपोर्ट की अपेक्षा रहती है।

यूजर को भागीदार बनाया जाता है इसका तात्पर्य है यूजर तथा डिजाइनर ग्रुप के मध्य संवाद को प्रोत्साहित करना।

प्रोग्राम्स को इसके इसमें तब भागीदार बनाया जाता है जब भी यूजर की आवश्यकताओं समस्याओं एवं अपेक्षाओं से संतोषप्रद रूप से अवगत हो जाते हैं यूजर को प्रोग्रामिंग और टेस्टिंग की जटिलता का पूरा ज्ञान हो जाता है इन सब का ज्ञान सफल परीक्षण के लिए अधिक महत्वपूर्ण होता है।

 

टेस्ट प्लानिंग (Test Planning) का सिस्टम में योगदान-

टेस्ट प्लानिंग (Test Planning) का सिस्टम में क्या योगदान निम्न है।

  1. टेस्ट प्लान निर्मित करना
  2. यूजर स्वीरकर्ता परीक्षण के लिए कंडीशन प्रदर्शित करना
  3. प्रोग्राम टेस्टिंग के लिए टेस्ट डाटा तैयार करना
  4. ट्रांजैक्शन पाठ टेस्टिंग के लिए टेस्ट डाटा निर्मित करना।
  5. यूजर प्रशिक्षण योजना बनाना।
  6. प्रोग्राम को एकत्रित कर जोड़ा जाना।
  7. जॉब परफॉर्मेंस में सहायक तत्वों का निर्माण करना।
  8. ऑपरेशनल डॉक्यूमेंट निर्माण निर्मित करना।

 

1. टेस्ट प्लान निर्मित करना-

पहले से तय डिजाइन स्पेसिफिकेशन के अनुसार ऑपरेशनल टेस्ट प्लान तैयार कर लिया जाना चाहिए इसमें निम्न आइटम शामिल होते हैं

  • सिस्टम से अनुमानित आउटपुट का प्रतिपादन।
  • आउटपुट का परीक्षण करने के लिए मानदंड बनाना।
  • टेस्ट डाटा का वॉल्यूम।
  • टेस्ट डाटा के उपयोग की विधि के लिए।
  • कर्मचारियों तथा प्रशिक्षण संबंधी आवश्यकताए।

 

2. यूजर स्वीरकर्ता परीक्षण हेतु कंडीशन प्रदर्शित करना-

यूजर स्वीरकर्ता का परीक्षण में एनालिस्ट व यूजर के मध्य टेस्ट की कंडीशनर पर सहमति बनाई जाती है इन कंडीशनर में से कई तो टेस्ट प्लान से ही ली जाए सकते हैं इस सहमति में अन्य साहित्य टेस्ट के कार्यक्रम टेस्ट की अवधि तथा टेस्ट संचालित करने वाले व्यक्तियों के संबंध में होती हैं टेस्ट के प्रारंभ होने एवं खत्म होने की तिथियां भी पहले से ही तय कर दी जाती हैं।

 

3. प्रोग्राम टेस्टिंग के लिए टेस्ट डाटा तैयार करना-

प्रत्येक प्रोग्राम कोड पर लिए जाते हैं टेस्ट डाटा निर्माता के लिए जाते हैं तथा डाक्यूमेंट्री करते हुए यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि प्रोग्राम के सारे क्षेत्र शुद्धता पूर्वक है टेस्ट कर लिया जाए। टेस्टिंग के बाद डाटा को भविष्य में उपयोग करने के लिए भली-भांति संग्रहित कर लिया जाता है।

 

4. ट्रांजैक्शन पाथ टेस्टिंग के लिए टेस्ट डाटा तैयार करना-

यह गतिविधि सिस्टम में उत्पन्न होने वाली प्रत्येक कंडीशन हुआ ट्रांजैक्शन को टेस्ट करने के लिए आवश्यक डाटा के निर्माण से संबंधित है विश्वसनीय परिणाम के लिए प्रत्येक ट्रांसलेशन के उद्गम से लेकर अंत तक पाथ सावधानी पूर्वक टेस्ट किया जाता है। टेस्ट में इस बात की जांच कर ली जाती है की टेस्ट डाटा रूपांतरण के बाद प्रयुक्त होने वाली लाइव डाटा के अनुरूप ही हो।

 

5. यूजर प्रशिक्षण योजना बनाना-

सिस्टम के परीक्षण तथा परिवर्तन हेतु यूजर को तैयार करने के लिए यूजर को ट्रेनिंग दी जाती है प्रोग्रामिंग के साथ ही साथ यूजर की भागीदारी तथा प्रशिक्षण भी समानांतर रूप से चलता है ऐसा तीन कारणों से किया जाता है

  1. जब प्रोग्राम लिखा जा रहे हो उस दौरान सिस्टम ग्रुप के पास ट्रेनिंग के लिए समय होता है।
  2. यूजर ट्रेनिंग प्रोग्राम प्रारंभ खाने से सिस्टम ग्रुप को नई सिस्टम में यूजर की अभिरुचि का स्पष्ट रूप से पता चलता है।
  3. प्रशिक्षित यूजर सिस्टम टेस्टिंग में अधिक प्रभावित तरीके से सम्मिलित होता है।

ट्रेंनिंग प्लान तैयार करने के बाद यूजर ट्रेंनिंग मैन्युअल एवं अन्य पाठ सामग्री तैयार कर ली जाती है सुविधाओं संबंधी आवश्यकता है तथा आवश्यक हार्डवेयर प्रदर्शित एवं डाक्यूमेंट्री कर लिए जाते हैं एक सामान्य प्रक्रिया सुपरवाइजर और विभाग प्रमुखों को पहले ट्रेनिंग देने की है बाद में यह लोग अपने स्टाफ को सुविधा अनुसार प्रशिक्षण देते हैं इसके कारण निम्नलिखित है

  • यूजर सुपरवाइजर को अपने स्टाफ की सक्षमता तथा संपूर्ण ऑपरेशन की जानकारी होती है।
  • स्टाफ के सदस्य किसी बाहरी व्यक्ति के स्थान पर अपनी सुपरवाइजर के निर्देश लेना अधिक पसंद करते हैं।
  • स्टाफ की विशिष्ट समस्याओं से परिचित होने के कारण सिस्टम एनालिसिस के बजाय यूजर ट्रेनिंग को संचालित करने के लिए भी अधिक बेहतर होते हैं एनालिस्ट फीडबैक के प्राप्त कार्य यह सुरक्षित करता है कि उन्हें समुचित ट्रेनिंग दी जाए।

 

6. प्रोग्राम को कंपाइल/असेंबल करना

  • टेस्टिंग के लिए सारी प्रोग्राम को कंपाइल तथा असेंबल करना पड़ता है इसके पहले संपूर्ण प्रोग्राम विवरण उपलब्ध रखे जाते हैं प्रोग्राम के उद्देश्यों से इसका उपयोग उसे बनाने वाले प्रोग्रामर एवं इसे चलाने के लिए लगने वाला कंप्यूटर समय सम्मिलित होता है
  • प्रोग्राम एवं प्रोजेक्ट के सिस्टम फ्लोचार्ट को संदर्भ के लिए भी उपलब्ध रखा जाता है।
  • इन गतिविधियों के अतिरिक्त सोर्स कोड के एड्रेस पर की गई चेकिंग प्रोग्रामिंग एरर उजागर करती है वास्तविक प्रोग्राम टेस्टिंग के पहले एक रन ऑर्डर शेड्यूल तथा टेस्ट विधि तय कर ली जाती है
  • रन ऑर्डर शेड्यूल टेस्ट किए जाने वाले ट्रांजैक्शन और जिस क्रम में उन्हें टेस्ट किया जाना चाहिए उन्हें दर्शाता है कैंडिडेट सिस्टम से विशेष मांग करने वाले उच्च प्राथमिकता के ट्रांजैक्शन की टेस्टिंग पहले की जाती है इसकी विपरीत एक टेस्ट स्क्रीन यदि रहती है कि प्रोग्राम सॉफ्टवेयर को दिवग कैसे करना चाहिए।
  • एक सामान्य विधि बॉटम अप प्रोग्रामिंग कहलाते हैं जिसमें छोटे प्रोग्राम मॉड्यूल को टेस्ट किया जाता है यह उच्च स्तर के मॉड्यूल से जुड़े होते हैं या इसी प्रकार तब तक चलता है
  • जब तक की प्रोग्राम पूरा नहीं हो जाता इसका विकल्प टॉप डाउन बताइए इसमें सामान्य प्रोग्राम को पहले टेस्ट किया जाता है उसके बाद प्रोग्राम मॉड्यूल जोड़ने के लिए एक बार में एक लेवल करते हुए निम्नतम लेवल तक पहुंच जाता हैं।

 

7. जॉब परफॉर्मेंस सहायता तैयार करना-

इसमें सिस्टम को चलाने के लिए कर्मचारियों द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली सामग्री निरूपित तथा शेड्यूल की जाती है इसमें प्रोग्राम कोड CRT टर्मिनल से जुड़े इनपुट कोड की सूची और डिस्क ड्राइव लोड करने के लिए पोस्ट किया गया इंस्ट्रक्शन शेड्यूल का डिस्प्ले शामिल होता है इन सब सहायक चीजों से ट्रेनिंग का समय घट जाता है तथा निचली स्टार के कर्मचारियों से काम चल जाता है।

 

8. ऑपरेशनल डॉक्यूमेंट तैयार करना-

टेस्ट प्लान चरण के दौरान सारे कार्य से डॉक्यूमेंट को अंतिम रूप दे दिया जाता है इसमें कैंडिडेट सिस्टम के लिए आवश्यक कार्यकारी फॉर्मेट के प्रशन भी शामिल होती हैं कार्यशील डॉक्यूमेंट टेंशन से संबंधित एक अध्याय नई सिस्टम के उचित रूप से काम करने के लिए कर्मचारियों के अनुभव प्रशिक्षण तथा शिक्षण योजना योग्यताओं का होता है।

 

FAQ’s

1. यूजर ट्रेनिंग को संचालित करने के लिए भी अधिक बेहतर होते हैं?

स्टाफ की विशिष्ट समस्याओं से परिचित होने के कारण सिस्टम एनालिसिस के बजाय यूजर ट्रेनिंग को संचालित करने के लिए भी अधिक बेहतर होते हैं

2. टेस्टिंग के बाद डाटा को भविष्य में उपयोग करने के लिए भली-भांति संग्रहित कर लिया जाता है क्योकि ?

प्रत्येक प्रोग्राम कोड पर लिए जाते हैं टेस्ट डाटा निर्माता के लिए जाते हैं तथा डाक्यूमेंट्री करते हुए यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि प्रोग्राम के सारे क्षेत्र शुद्धता पूर्वक है टेस्ट कर लिया जाए।

3. स्टाफ के सदस्य किसी बाहरी व्यक्ति के स्थान पर अपनी सुपरवाइजर के निर्देश लेना अधिक पसंद करते हैं।

स्टाफ की विशिष्ट समस्याओं से परिचित होने के कारण सिस्टम एनालिसिस के बजाय यूजर ट्रेनिंग को संचालित करने के लिए भी अधिक बेहतर होते हैं

 

Conclusion (निष्कर्ष)

तो दोस्तों आपको मेरी ये पोस्ट टेस्ट प्लानिंग (Test Planning) का सिस्टम में क्या योगदान है केसी लगी आशा है की आपको पसंद आई होगी और हेल्पफुल रही होगी अगर कोई सवाल है तो comment बॉक्स में comment करे तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे

 

 

 

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