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संस्थान में डाटा प्रोसेसिंग का क्या महत्व है केन्द्रीकृत व विकेंद्रीकृत व्यवस्था के लाभ-हानि क्या है।

नमस्कार दोस्तों आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है आज आपको संस्थान में डाटा प्रोसेसिंग का क्या महत्व है केंद्रीकृत व विकेंद्रीकृत व्यवस्था के लाभ हानि क्या है। संस्थान में data प्रोसेसिंग के लिए computer प्रणाली केंद्रीय हो या विकेंद्रीकृत रूप में पाया जाना बहुत ही जरूरी माना जाता है यह डिसीजन प्रणाली का डिजाइन करने से पहले कर लेना बहुत ही जरूरी होता है जिससे प्रणाली को उसी के अनुसार ढाला जा सके आपको डाटा प्रोसेसिंग के बारे में आपको पूरी जानकारी दी जाएगी जिससे आपको इधर-उधर विजिट नहीं करना पड़ेगा आपको सारी जानकारी इसी पोस्ट में मिल जाएगी तो चलिए दोस्तों शुरू करते है-

 

संस्थान में डाटा प्रोसेसिंग का क्या महत्व है?

संस्थान में डाटा प्रोसेसिंग के लिए कंप्यूटरीक्रित प्रणाली केंद्रीय हो अथवा विकेंद्रीकृत रूप में होना चाहिए यह निर्णय प्रणाली का डिजाइन करने से पूर्व भी कर लेना चाहिए जिससे प्रणाली को उसी के अनुरूप डाला जा सके डाटा प्रोसेसिंग केंद्रीयकृत होगी अथवा विकेंद्रीकृत इसका विश्लेषण संस्थान में उपलब्ध संसाधनों तथा संस्थान की आवश्यकताओं के आधार पर निर्भर करता है।

केन्द्रीकृत प्रणाली से तात्पर्य है कि केवल एक ही स्थान पर कंप्यूटर स्थापित किया जाएगा और कंप्यूटर संबंधित सभी कार्य वहां से संपन्न किए जाएंगे जबकि विकेंद्रीकृत है प्रणाली में संस्थान के अलग-अलग विभागों में अलग-अलग कंप्यूटर स्थापित होंगे तथा उनसे संबंधित कार्य वाही संपन्न किया जा सकता है लेकिन डाटा प्रोसेसिंग विकेंद्रीकृत व्यवस्था के अंतर्गत की जाएगी या विकेंद्रीकृत व्यवस्था के अनुसार यह निर्णय करने से पूर्व दोनों व्यवस्थाओं के लाभ होने की तुलना करना आवश्यक है।

 

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विकेंद्रीकृत व्यवस्था (Advantage of Decentralized System) के लाभ 

अधिक बड़े  तथा भिन्न प्रकार के कामों को करने वाले संस्थान को विकेंद्रीकृत कंप्यूटर व्यवस्था के लाभ होते हैं जो निम्नलिखित हैं-

  • इससे प्रत्येक प्रभाव के कार्य को पूर्ण समय व महत्व प्राप्त होता है।
  • सभी कार्यरत कर्मचारी एक विभाग के प्रति उत्तरदाई होते हैं अतः विभिन्न विभागों के कर्मचारी उपभोक्ताओं को एक निश्चित समस्या में हमें कार्य पूर्ण कर देते हैं।
  • प्रत्येक विभाग को कंप्यूटर अपने ही संस्थानों पर चलना होता है अतः खर्च न्यूनतम रखने पर भी ध्यान होता है।
  • उपयोगकर्ता अधिक शुद्ध लाभ के लिए कोई अच्छी तरह योजना बना सकते हैं।

 

विकेंद्रीकृत व्यवस्था (Disadvantages of Decentralized System) से हानियां 

उपरोक्त लाभों के अतिरिक्त विकेंद्रीकृत व्यवस्था की हानियां निम्नलिखित हैं-

  • कंप्यूटरों की खरीद पर एक बड़ी रकम निवेशित होती है क्योंकि प्रत्येक विभाग के लिए अलग-अलग कंप्यूटर होने से कंप्यूटर पर बहुत अधिक खर्च हो जाता है जो छोटे संस्थान नहीं कर पाते।
  • प्रत्येक विभाग को अपनी आवश्यकतानुसार डाटा संग्रहित करना होता है अतः आवश्यकता पड़ने पर संग्रहीत करना मुश्किल होता है।
  • प्रत्येक विभाग के लिए कंप्यूटर प्रशिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति करनी पड़ती है।
  • कुछ विभागों में अधिक तथा कुछ में कम खर्च होता है अतः स्रोतों का सदुपयोग नहीं हो पता है।

 

केन्द्रीकृत व्यवस्था (Advantages of Centralized System) के लाभ 

केन्द्रीकृत व्यवस्था के लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. उच्च क्षमता के कंप्यूटर खरीद कर धन की बचत की जा सकती है।
  2. डाटा प्रोसेसिंग के कार्य की एक समान विधि बनाई जा सकते हैं।
  3. डाटा प्रोसेसिंग के कार्य के लिए अधिक उपयोगी उपकरण खरीदे जा सकते हैं।
  4. अधिक प्रशिक्षित व तकनीकी योग्यता कर्मचारियों की नियुक्तिकरण उच्च कंप्यूटिंग क्षमता का उपयोग किया जा सकता है।
  5. विकेंद्रीकृत व्यवस्था की तुलना में कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ती है।
  6. समस्त डाटा आवश्यकता पड़ने पर एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकता है।

 

केन्द्रीकृत व्यवस्था (Disadvantages of Centralized System) की हानियां 

केन्द्रीकृत व्यवस्था की कुछ हानियां है, जिन्हें कंप्यूटर स्थापित करने से पूर्व ध्यान में रखना आवश्यक है-

  1. संस्थान के विभाग दूर-दूर होने पर डाटा संचार लागत बढ़ जाती है।
  2. कार्य अधिक होने पर उपयोगकर्ता को आवश्यक पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है।
  3. प्रत्येक विभाग सुविधाओं के उपयोग की लेखी योजना नहीं ढूंढ पाता है क्योंकि अन्य विभाग भी सुविधाओं का उपयोग कर रहे होते हैं।
  4. मुख्य कंप्यूटर प्रणाली खराब होने पर समस्त विभागों का कार्य रुक जाता है।

 

किसी संस्थान में कंप्यूटर स्थापित करने के तरीके 

प्रणाली चलाने के लिए समानता कंप्यूटरों को निम्न प्रकार से स्थापित किया जा सकता है यदि एक से अधिक कंप्यूटरों को लगाना हो तो उसके विभिन्न तरीके हो सकते हैं और कंप्यूटर स्थापित करने के तरीके संस्थान के स्तर कार्य व लागत पर निर्भर रहते हैं।

  • प्रत्येक विभाग में स्वतंत्र कंप्यूटर (Independet Computer in Every Deparment) –

इस प्रकार की प्रणाली में प्रत्येक विभाग में एक स्वतंत्र कंप्यूटर स्थापित कर दिया जाता है तथा उसका अन्य कंप्यूटर से कोई संबंध नहीं होता है प्रत्येक विभाग में अपने हिसाब से सॉफ्टवेयर अलग-अलग उपयोग किया जा सकता है।

  • प्रत्येक विभाग में स्वतंत्र कंप्यूटर तथा एक-एक मुख्य कंप्यूटर (Independent Computer n Every Department and Main Computer) –

इस प्रकार की प्रणाली के अंतर्गत प्रत्येक विभाग में एक कंप्यूटर स्थापित किया जाता है तथा उन सभी कंप्यूटरों को संस्थान के एक मुख्य कंप्यूटर से भी जोड़ा जाता है इसका मुख्य लाभ डाटा शेयर करने में होता है कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए डाटा केबल, टेलीफोन लाइन अथवा सैटेलाइट का उपयोग किया जाता है।

यदि संस्थान के विभागों में दूरी 500 मीटर से कम हो तो डाटा केबल का उपयोग किया जाता है अन्यथा टेलीफोन लाइनों का उपयोग सही रहता है यदि विभिन्न शहरों के ऑफिसों से संबंधित (डाटा संप्रेषण) है तो सैटेलाइट लिंक का उपयोग करते हैं।

  • प्रत्येक विभाग में स्वतंत्र कंप्यूटर आपस में जुड़े हो (Independent Computer should be Interlink to Each other in Every Depatment) –

इस प्रकार की व्यवस्था में प्रत्येक प्रकार के कंप्यूटर होते हैं जो स्वतंत्र ही हैं परंतु वे सभी आपस में इस प्रकार जुड़े होते हैं कि प्रत्येक एक दूसरे से संपर्क कर सकें यह सभी कंप्यूटर उपकरण आपस में डाटा केबल ,टेलीफोन लाइन अथवा सेटेलाइट से जुड़ी होते हैं और डाटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

  • एक मुख्य कंप्यूटर तथा अन्य विभागों में टर्मिनल (One Main Computer and Terminals in Other Department) –

टर्मिनल वे कंप्यूटर है जो स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकते हैं इस प्रकार की व्यवस्था में एक मुख्य कंप्यूटर कहीं पर स्थापित कर सभी विभागों में उनके टर्मिनल लगा दिए जाते हैं ये कंप्यूटर स्वतंत्र कंप्यूटर की तरह कार्य नहीं कर सकते

इस प्रकार कंप्यूटरों को केवल या टेलीफोन लाइनों के द्वारा जोड़ा जाता है इस प्रक्रिया में मुख्य लाभ यह है कि पूरे विभाग कंप्यूटर से जुड़े भी होते हैं और डाटा शेयर भी कर सकते हैं साथ ही कंप्यूटरीकरण की कीमत भी कम होती है इसमें हानि यह है कि मुख्य कंप्यूटर खराब होने पर सब कुछ बंद पड़ जाता है इसमें सारे  सॉफ्टवेयर एक मुख्य कंप्यूटर पर ही उपलब्ध होते हैं।

  • एक ही स्थान पर कंप्यूटर प्रणाली (Computer System on Same Place) –

इस प्रणाली में समस्त कंप्यूटरों व आवश्यक उपकरणों को एक ही स्थान या लैब में समेट कर स्थापित कर दिया जाता है और समस्त कार्य यही संपन्न होते हैं।

 

FAQ

 1. निर्णय प्रणाली का डिजाइन करने से पूर्व भी क्या कर लेना चाहिए?

संस्थान में डाटा प्रोसेसिंग के लिए कंप्यूटरीक्रित प्रणाली केंद्रीय हो अथवा विकेंद्रीकृत रूप में होना चाहिए यह निर्णय प्रणाली का डिजाइन करने से पूर्व भी कर लेना चाहिए

 2. छोटे संस्थान क्या नहीं कर पाते।

कंप्यूटरों की खरीद पर एक बड़ी रकम निवेशित होती है क्योंकि प्रत्येक विभाग के लिए अलग-अलग कंप्यूटर होने से कंप्यूटर पर बहुत अधिक खर्च हो जाता है जो छोटे संस्थान नहीं कर पाते।

3. कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए किसका उपयोग किया जाता है।

कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए डाटा केबल, टेलीफोन लाइन अथवा सैटेलाइट का उपयोग किया जाता है।

4. टर्मिनल वे कंप्यूटर है जो –

टर्मिनल वे कंप्यूटर है जो स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर सकते हैं इस प्रकार की व्यवस्था में एक मुख्य कंप्यूटर कहीं पर स्थापित कर सभी विभागों में उनके टर्मिनल लगा दिए जाते हैं।

 

Conclusion (निष्कर्ष)

तो दोस्तों आपको संस्थान में डाटा प्रोसेसिंग का क्या महत्व है केन्द्रीकृत व विकेंद्रीकृत व्यवस्था के लाभ-हानि क्या है। मेरी यह पोस्ट कैसी लगी आशा है कि आपको पसंद आई होगी और हेल्पफुल रही होगी अगर आपका कोई सवाल है तो comment बोक्स में comment करे तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

 

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